सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। ज्योतिष और खगोड़ शास्त्र की दृष्टि अष्टमी /नवमी कब और किस दिन मनाई जाती है ।।
ज्योतिष और खगोड़ शास्त्र की दृष्टि अष्टमी /नवमी कब और किस दिन मनाई जाती है
#नवरात्रि_अष्टमी_तिथी_निर्णय
भारत के पूर्वी क्षेत्र और उत्तरी क्षेत्र ।
दो हिस्सों में अष्टमी अलग अलग दिनाँक को मनायी जाएगी।
क्यों कि भारत के पच्छमी क्षेत्र में उदय अष्टमी तिथि निर्णय सिंधु के अनुसार ।
समय घटी पल कम होने के कारण
इसको 23 अक्टूबर 2020 को मनायी जाएगी।
यही भारत के पूर्वी क्षेत्र जो कि अटेचमेंट फ़ोटो में रेखा के माध्यम से दिखाया गया है।
जिसके अनुसार आप सभी अपने निवास स्थान को देखकर निर्णय ले सकते है।
पूर्वी क्षेत्र में निर्णय सिंधु के अनुसार ।
उदय तिथि अष्टमी पूर्ण मानी जायेगी ।
क्योंकि घटी पल पूर्ण मिल रहे है।
1 घटी = 24 मिनट =60 पल
1 महूर्त = 2 घटी
सूर्य उदय पूर्ण सप्तमी वेदी अष्टमी पूजन निषेध है।
ऐसा शास्त्रों में बताया गया है।
भारत के पूर्वी क्षेत्र में
#नवरात्रि_नौमी_पुजन
25 अक्टूबर 2020 को
ही सम्पन्न होगा।
टोने व टोटके ( उपायों का विस्तृत वर्णन )
टोने व टोटके क्या होते हैं ?
आज मानव के मन में टोने - टोटके के प्रति कितना अधिक भय है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है।
इस के लिये मेरा कहना है कि यह भय निराधार है और नहीं भी है. क्योंकि इस भय को बढ़ावा देने में इस क्षेत्र के ही लोगों का अधिक हाथ है।
वे अधिक धन हड़पने के लिये हमको बताते हैं कि इसमें अनुष्ठान करना पड़ेगा, शमशान जाना पड़ेगा. बली देनी होगी जहां शमशान व बली शब्द का प्रयोग हो तो मानव का डरना उचित ही है।
दूसरा डरने का कारण है कि इस क्षेत्र में कुछ ऐसे लालची लोगों का प्रवेश हो गया है जो धन के लिये कुछ भी इस विद्या के द्वारा करते हैं।
इस से लोगों के मन में भय घर कर जाता है पाठकों से मेरा निवेदन है कि जो इस प्रकार के जो लोग होते है वे सिर्फ किसी सीमा तक ही कार्य कर सकते हैं।
अधिक कुछ करने की उन्हें सिद्धि ही प्राप्त नहीं होती है।
जो इस क्षेत्र का ज्ञानी होता है वह ईश्वर से डरने वाला होता है।
वह कोई गलत कार्य कर ही नहीं सकता है।
दूसरी बात भय न खाने कि है।
यदि आपको लगता है कि आपके साथ कोई टोना करवा सकता है तो इसके लिये आप सतर्क रहें।
अपने वस्त्रों का ध्यान रखें, वस्त्रों को इधर - उधर न छोड़े, किसी की दी हुई कोई वस्तु न खायें विशेषकर सेब फल व केला तथा नित्य आप अपने इष्टदेव का स्मरण करें तो फिर आप पर कोई भी टोना असर नहीं कर सकता है।
इन के अतिरिक्ति मैं अगले पृष्ठों में कुछ ऐसे उपाय बता रहा हूँ जिनके माध्यम से आप निर्भय होकर जीवन जी सकते हैं।
इस में आप एक बात का विशेष ध्यान रखें कि यदि आप किसी का कोई अहित नहीं करते हैं तो ईश्वर भी आपकी मदद करेगा अब मैं आपको बताता हूँ कि टोने - टोटके क्या होते हैं तथा इनका प्रयोग किस प्रकार से किया जाता है।
टोने:
टोने शब्द का प्रयोग हम सामान्य भाषा में करते हैं परन्तु तांत्रिक भाषा में टोने का अभिप्राय होता है, किसी कार्य सिद्धि के लिये किया जाने वाला तांत्रिक अनुष्ठान ।
यह दो प्रकार से किया जाता है।
एक, सात्विक जिसमें हम सामान्य जीवन में आने वाली वस्तुओं का प्रयोग करते हैं।
उस में कोई अनुचित वस्तु नहीं होती है।
यह घर में किया जा सकता है।
दूसरा, तामसिक अनुष्ठान जो सिर्फ शमशान में किया जाता है ।
इस में सभी तामसिक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है।
किसी पशु की बली भी दी जाती है।
लोगों के मन में भय अधिकतर तामसिक टोनों के कारण होता है।
टोने अर्थात् तांत्रिक अनुष्ठान के 6 रूप होते हैं जिन्हें तांत्रिक भाषा में "षट्कर्म" कहा जाता है।
यह निम्न प्रकार से जाने जाते हैं।
1. शान्ति कर्म-
किसी भी कल्याणकारी अथवा अपनी शान्ति, धन, सुख, रोग निवारण, दुख - दारिद्रय का नाश आदि के लिये किया जाने वाला अनुष्ठान शान्ति कर्म की श्रेणी में आता है।
2. वश्य कर्म-
किसी व्यक्ति को अपने वश में करने के लिये किया जाने वाला कर्म वश्य कहलाता है।
इस को वशीकरण भी कहते हैं। इस कर्म में मंत्रों के माध्यम से किसी को भी अपने वश में करने की क्रिया की जाती है जो मंत्रों के प्रभाव से अपना स्व अस्तित्व भूल कर इस कर्म को करने वाले के वश में हो जाता है।
3. स्तम्भन कर्म-
इस कर्म के माध्यम से मंत्रों के द्वारा किसी मानव, पशु अथवा वेग को स्तम्भित कर रोक दिया जाता है।
आपका कोई शत्रु आपको बहुत परेशान करता है तो उसके लिये इस कर्म का प्रयोग किया जाता है।
प्राचीनकाल में ज्ञानी लोग इस कर्म का प्रयोग वर्षा अथवा जलप्रवाह आदि रोकने तक में करते थे।
अचानक आने वाली बारिश के कारण किसानों के अहित होने की आशंका में वर्षा को स्तम्भित कर दिया जाता था जिससे किसान अपना कार्य कर सकें अथवा अनाज आदि को समट सकें।
4. विद्वेषण कर्म-
इस कर्म में मंत्रों के माध्यम से किन्हीं दो लोगों में विद्वेषण करवाया जाता है अर्थात उनमें आपस में फूट डलवाई जाती है।
उदाहरण के लिये जैसे कोई दो व्यक्ति मिलकर किसी एक को परेशान करते हैं तो उनमें इस कर्म के माध्यम से फूट डलवाई जा सकती है जिससे वे किसी अन्य को परेशान करने के र्थान पर आपस में ही लड़ते रहें।
5. उच्चाटन कर्म-
इस कर्म में मंत्रों के माध्यम से किसी का किसी स्थान से उच्चाटन किया जाता है अर्थात् उसका मन भटकाया जाता है जिससे वह उस स्थान को छोड़कर कहीं और चला जाये अथवा अपने मूल स्थान पर आ जाये।
6. मारण कर्म-
यह षट्कर्म' की श्रेणी में सबसे निकृष्ट कर्म माना जाता है।
इस कर्म में मंत्रों के माध्यम से किसी को मृत्युतुल्य कष्ट दिया जाता है अथवा प्राणों का हनन किया जाता है. मार दिया जाता है।
इस कर्म को चौकी बिठाना अथवा मूठ मारना भी कहते हैं।
पहले तो इतने ज्ञानी हुआ करते थे कि यदि वे किसी को मूठ मार दें तो उसका बचना ही अंसम्भव होता था।
आजकल साधक इतनी साधना ही नहीं कर पाता है।
पह उसका प्रयोग अपनी स्वार्थ सिद्धि अथवा धन कमाने के लिये करता है, इसलिये इसमें पूर्णतः सफल नहीं हो पाता है।
तंत्र शास्त्र में इसको निंदनीय कर्म कहा जाता है जब किसी की मूठ से मृत्यु होती है तो डाक्टर भी उसकी मृत्यु का कारण नहीं बता सकते है।
मृत्यु के लिये सिर्फ हार्टफेल होना बताते हैं
टोटके :
तंत्र की भाषा में किसी भी अप्रिय अथवा हानिकारक कार्य को अपने पक्ष में करने के लिये शास्त्रों द्वारा निर्धारित क्रिया करने को ही "टोटके' कहते हैं। यह बहुत ही सामान्य व सुरक्षित होते हैं।
शायद हमारे विद्वान लोगों ने आने वाले समय को ही ध्यान में रखकर इनका निर्माण किया होगा क्योंकि आज के इस युग में व्यक्ति के पास इतना समय नहीं है कि वह कोई कार्य सिद्धि के लिये लग्ची प्रक्रिया कर सके इस पुस्तक में ट्रकों को ही मुख्य स्थान दिया है।
जनभ्रान्ति तथा मानव भय को दूर करने के लिये मैंने इनको "उपाय" का नाम दिया है ये बहुत ही सुरक्षित होते हैं तथा इनको कोई भी बिना किसी भय के कर सकता है।
इन के करने में अधिक धन की आवश्यकता भी नहीं होती है।
इस लिये आर्थिक रूप से विपन्न लोगों के लिये यह बहुत ही लाभदायक है।
आज शायद ही कोई ऐसा घर होगा जो किसी न किसी प्रकार के टोटके नहीं करता होगा।
इस का प्रमुख यह है कि टोटके व्यक्ति के साथ प्राचीनकाल से ही जुड़े हुए हैं।
प्राचीनकाल से लेकर अब तक परिवार में होने वाली तथा आने वाली अनेक समस्याओं से बचाव के लिये विभिन्न प्रकार के टोटके किये जाते रहे हैं।
प्रत्येक परिवार के लोगों को इस बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान एवं जानकारी परिवार के ही बड़े सदस्यों से मिलती रही है।
उदाहरण के लिये हर माँ अपने पुत्र को परीक्षा पर जाने से पहले दही - शक्कर खिला कर भेजती है। बिल्ली रास्ता काट जाती है तो व्यक्ति घर वापिस आकर पानी पीता है, फिर जाता है।
कोई व्यक्ति किसी काम के लिये जा रहा है और उससे कोई पूछ ले कि भाई कहाँ जा रहे हो तो पुनः वापिस आता है और कुछ क्षण रुक कर ही जाता है।
उसे लगता है कि टोक लगा देने से अब उसका काम नहीं बनेगा।
कोई परेशान होता है तो वह शनिवार को पीपल पर दीपक लगाता है, जल डालता है।
नियमित रूप से कोई कुत्ते अथवा गाय को रोटी देता है।
यह सब बातें लिखने का अभिप्राय यह नहीं है कि ऐसा करने वाले अधविश्वासी हैं बल्कि यह बताना है कि आजकल हर व्यक्ति टोटका कर रहा है।
वापिस आकर जल पीकर जाना अथवा नित्य गाय - कुत्ते को रोटी डालना यह सब टोटके ही हैं।
अनेक व्यक्तियों के मन में टोटकों के बारे में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उत्पन्न होते है।
वर्तमान में विकास की ओर अग्रसर व्यक्ति भी इनके बारे में जानना चाहता है यहां पर टोटकों अथवा उपायों के बारे में उठने वाले सामान्य तथा आम प्रश्नों के बारे में जानकारी दी जा रही है ताकि समस्त व्यक्ति सही तथ्यों को जान सके तथा मन में उठने वाले प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकें
क्या टोटकों से कोई हानि होती है?:
जी नहीं. आप किसी भी प्रकार का टोटका निश्चिंत होकर कर सकते हैं।
इन के करने से किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती है क्योंकि इनके करने का आधार सिर्फ धार्मिक तथा विश्वास है।
कभी आप अपने घर में पूजा नहीं कर पाते हैं तो क्या कोई हानि होती है ?
आप नियमित रूप से गाय को रोटी देते हैं और एक दिन किसी क नहीं दे पाये तो क्या आपको कोई हानि होगी ?
इन का आधार सिर्फ धार्मिक विश्वास है।
गाय को रोटी देने के पीछे यह विश्वास है कि गाय हमारी पूजनीय है।
यदि हम गाय को नित्य रोटी देंगे तो ईश्वर हमारी मदद अवश्य करेगा।
टोटके दो प्रकार के होते हैं।
प्रथम, जो नियमित रूप किये जाते हैं जिनमें किसी दिन चूक हो जाये तो फल में असर नहीं आता है।
यदि लम्बे समय के लिये चूक हो तो फल में कमी आने लगेगी।
उदाहरण के लिये नियमित रूप से गाय अथवा कुत्ते को रोटी देना अथवा प्रत्येक शनिवार को पीपल में अथवा गुरुवार को केले के वृक्ष में जल देना तथा दीपक अर्पित करना, यह टोटके नियमित श्रेणी में आते हैं।
दूसरी श्रेणी में वे टोटके आते है जो निर्धारित संख्या में किये जाते हैं जैसे शनि प्रकोप से मुक्ति पाने के लिये 21 शनिवार को पीपल में जल के साथ दीपक लगाना तथा काले तिल व उड़द का दान करना, यह समयबद्ध श्रेणी के टोटके हैं।
इस में यदि आप निर्धारित समय में उपाय कर लेंगे तो आपको पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।
किसी कारण से आप यह उपाय पूर्ण नहीं कर पाते हैं अथवा कुछ समय करने के बाद अवरोध आता है तो आपको लाभ अथवा हानि कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।
पुनः यदि आपको यह टोटका करना है तो आपको आरम्भ से ही करना होगा।
ऐसा नहीं होगा कि आपने 10 शनिवार पहले कर लिये हैं और अब 11वें से शुरू कर दें।
अगर आप ऐसा समझते हैं कि इससे आपको लाभ प्राप्त होगा तो आप गलत सोच रहे हैं।
पुनः आरम्भ करेंगे तो 10 बार किया टोटका बेकार जायेगा परन्तु आपको हानि बिलकुल नहीं होगी।
पूर्ण फल प्राप्ति के लिये आपको आरम्भ से ही करना होगा।
कितनी सख्या में टोटके करें?:
टोटके पूर्णतः धार्मिक और विश्वास पर आधारित होते हैं। यह दो प्रकार से किये जाते हैं।
एक, कुछ टोटके नियमित रूप से किये जाते हैं तथा दूसरे. करवाने वाले के द्वारा आपको बताये जाते हैं कि यह टोटके आपको कितनी संख्या में तथा किस विधान से करने हैं।
आप अपने दिमाग से ये बात निकाल दें कि टोटके करने में किसी प्रकार की हानि होती है।
नियमित टोटकों में तो कुछ समय के अवरोध के बाद लाभ भी प्राप्त होता है परन्तु यह अवरोध दीर्घकाल के लिये नहीं होना चाहिये।
निर्धारित संख्या व विधान वाले टोटकों में अवश्य ध्यान रखा जाता है कि जब तक निर्धारित संख्या में तथा विधान से किया गया टोटका पूर्ण नहीं होगा तब तक आपको लाभ नहीं होगा।
जब लाभ नहीं होता है तो टोटका पूर्ण न होने की स्थिति में हानि भी नहीं होगी।
मैंने टोटके बताने के साथ यह प्रयास भी किया है कि कौनसा टोटका आपको कितनी बार और कब करना है।
टोटके कौन कर सकता है ?
टोटके अर्थात् उपाय करने की कोई उम्र विशेष का वर्णन नहीं मिलता है।
वैसे भी इनका आधार धार्मिक तथा विश्वास है।
जिस प्रकार हम ईश्वर की आराधना के लिये बच्चों को प्रेरित करते हैं, इस लिये आवश्यकता होने पर ये उपाय बच्चे भी कर सकते है।
इन में कई उपाय ऐसे भी होते हैं जो बच्चों के लिये आवश्यक होते हैं।
इन उपायों के माध्यम से उनकी शिक्षा में प्रगति हो सकती है तथा अन्य कई लाभ भी प्राप्त होते हैं।
आवश्यकता होने पर नवजात बच्चे को भी उपाय करवाते हैं, जैसे किसी बच्चे को नजर लग जाती है तो हम इनमें से किसी उपाय के माध्यम से ही नजर उतारते हैं।
अब मैं "टोटके" के स्थान पर "उपाय" शब्द का ही प्रयोग करें।
उपाय कब आरम्भ करें?
आप कोई भी उपाय किसी भी शुक्ल पक्ष अथवा उस उपाय के प्रतिनिधि दिन से आरम्भ कर सकते हैं।
उदाहरण के लिये आपको धन प्राप्ति के लिये लक्ष्मीजी से सम्बन्धित उपाय करना है तो आप किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से आरम्भ कर सकते हैं अथवा कोई ऐसा उपाय करना है जो शनिदेव से सम्बन्धित है तो किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से आरम्भ कर सकते हैं ।
इसके अतिरिक्त यदि आप अधिक व शीघ्र लाभ चाहते हैं तो अपनी राशि के अनुसार चन्द्र की राशि का ध्यान रखें अथात् उस दिन आपके बोलते नाम से चन्द्र चौथ आठवां अथवा बारहवां न हो।
इसके साथ ही रिक्ता तिथि अर्थात् चतुर्थी, नवमी अथवा चतुर्दशी न हो, घर में सूतक अथवा सोवर न हो अर्थात् किसी की मृत्यु अथवा बच्चे के जन्म के बारह दिन के अन्दर यह प्रयोग नहीं करना चाहिए।
वैसे महान ज्योतिषी वराहमिहिर ने कोई भी कार्य सिद्धि के लिये वर्ष में माह अनुसार प्रत्येक दिन में कुछ समय को अमृत तुल्य माना है उन्होंने उस समय की इतनी प्रशंसा की है जो यहां लिखी नहीं जा सकती।
यदि आचार्य वराहमिहिर के बताये अनुसार समय पर कोई उपाय आरम्भ किया जाये तो उसके निष्फल होने की संभावना नहीं होती है लेकिन आपको उस उपाय पर पूर्ण विश्वास होना चाहिये।
यदि उस उपाय की कोई विधि हो तो उस विधि अनुसार ही करना चाहिये।
आगे सारणी में आपको मैं आचार्य वराहमिहिर के द्वारा बताये समय दर्शा रहा हूँ।
वैसे यदि आपको कोई दिन का उपाय आरम्भ करना है तो उपाय के प्रतिनिधि दिन में 11:36 से लेकर 12:24 के मध्य आरम्भ कर सकते हैं।
भारतीय ज्योतिष में इस समय को "अभिजीत मुहूर्त माना जाता है।
आचार्य वराहमिहिर के बताये समय में तिथि, योग, करण, नक्षत्र अथवा चन्द्र बल देखने की भी आवश्यकता नहीं होती है।
मैं आपसे पुनः कहूँगा कि आप यदि कोई विशेष उपाय करना चाहते हैं तो बात अलग है अन्यथा आप शुक्ल पक्ष के दिन से भी आरम्भ कर सकते हैं।
आचार्य वराहमिहिर द्वारा बतायी गयी उपाय आरम्भ के लिये शुभ समय :
चैत्र, वैशाख, श्रावण तथा भाद्रपद मास :
रविवार👉 प्रातः 6 से 6:48 तक, रात्रि 6:48 से 7:36 व 3:36 से 4:25 तक।
सोमवार👉 रात्रि 7:36 से 9:12 तक।
मंगलवार👉 रात्रि 7:36 से 9:12 तक, तथा 3:36 से 4:24 तक।
बुधवार👉 दिन 3:36 से 4:24 तक तथा रात्रि 9:12 से 10:48 तक।
गुरुवार👉 रात्रि 7:36 से 9:12 तक।
शुक्रवार👉 रात्रि 1:12 से 3:36 तक।
शनिवार👉 समय उपयुक्त नही।
ज्येष्ठ तथा आषाढ़ मास :
रविवार👉 दिन में 3:36 से 4:24, रात्रि 4:24 से 6:00 तक।
सोमवार👉 रात्रि 2:48 से 3:36 तक।
मंगलवार👉 रात्रि 5:12 से 6:00 तक।
बुधवार👉 प्रातः 6:48 से 8:24 तक।
गुरुवार👉 समय उपयुक्त नही।
शुक्रवार👉 रात्रि 10:48 से 11:36 तक।
शनिवार👉 प्रातः 6:00 से 6:48 तक तथा 8:24 से 9:12 तक।
आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष तथा पौष मास :
रविवार 👉समय उपयुक्त नहीं
सोमवार 👉 प्रात:912 से 10.48 तक तथा दिन में 336 से 600 तक
मंगलवार 👉 दिन में12.24 से 248 तक
बुधवार 👉 प्रात 6.48 से 8.24 तक
गुरुवार 👉 साय 5.12 से 6.00 तक
शुक्रवार 👉 साय 4 24 से 6.00 तक तथा रात्रि । 12 से 2.00 तक
शनिवार 👉 साय 512 से 600 तक
माघ तथा फाल्गुन माह :
रविवार 👉 प्रातः 6:00 से 6:48 तक तथा रात्रि में 6:48 से 7:36 तक तथा 3:36 से 4:24 तक।
सोमवार 👉 रात्रि में 7:36 से 9:12 तक।
मंगलवार 👉 रात्रि 7:36 से 9:12 तक तथा 3:36 से 4:24 तक।
बुधवार 👉 दिन में 3:36 से 4:24 तक तथा रात्रि में 9:12 से 10:48 तक।
गुरुवार 👉 रात्रि 7:36 से 9:12 तक।
शुक्रवार 👉 रात्रि 1:12 से 3:36 तक।
शनिवार 👉 समय उपयुक्त नहीं।
क्रमशः...
अगले लेख में हम टोन टोटके ( उपायों संबंधित कई शंकाओ के समाधान करेंगे।
🙏जय माँ अंबे 🙏
🙏जय माता दी 🙏
🌹🙏🌹
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Ramanatha Swami Car Parking Ariya Strits , Nr. Maghamaya Amman Covil Strits, V.O.C.Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

अति उत्तम
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