हस्तरेखा शास्त्र / सामुद्रिक शास्त्र
आपकी विवाह रेखा क्या कहती है , अधूरी रह जाती है प्रेम कहानी, हथेली पर ऐसी रेखा से ?
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली पर मौजूद विवाह रेखा या मैरिज लाइन किसी व्यक्ति के प्रेम सम्बध और विवाह के बारे में जानकारी देती है।
हथेली पर कनिष्ठिका अंगुली के नीचे मिलने वाली रेखाओं को प्रेम रेखा या विवाह रेखा कहा जाता है। आइए, जानते हैं, विवाह रेखा से जुड़ीं
संघर्ष से भरी जिंदगी उस वक्त थोड़ी आसान लगने लगती है जब मनपसंद जीवनसाथी आपकी उम्मीदों पर खरा उतरता है।
खुशहाल वैवाहिक जीवन से व्यक्ति की कई मुश्किलें आसान होने लग जाती है।
इसका कारण यह है कि जीवनसाथी का साथ, एक भावानात्मक सहयोग होता है जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली पर विवाह रेखा ऐसी होती हैं, जिनसे आपका वैवाहिक जीवन जुड़ा होता है।
हथेली पर बनी इस विशेष रेखा को देखकर जाना जा सकता है कि आप प्यार और शादी के मामले में कितने लकी हैं।
आइए, जानते हैं हथेली की कौन-सी रेखाएं बताती हैं विवाह से जुड़ीं बातें।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार कनिष्ठिका अंगुली के नीचे मिलने वाली रेखाओं को प्रेम रेखा या विवाह रेखा कहा जाता है।
हाथ की सबसे छोटी अंगुली को कनिष्ठिका कहते हैं। ये रेखाएं आपके प्रेम संबंधों और वैवाहिक जीवन के बारे में बताती हैं।
कई बार एक से ज्यादा प्रेम रेखाएं भी होती हैं।
इस अंगुली के पास अनेक प्रेम रेखा या विवाह हो सकती है, जो लव अफेयर्स या विवाह जीवन को दर्शाती है।
हथेली की किस रेखा के कारण अधूरी रह जाती है प्रेम कहानी:
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, आपके हाथों की रेखाएं आपकी लव लाइफ के बारे में बहुत कुछ बता सकती हैं।
अगर आपके मंगल और बुद्ध पर्वत पर बहुत सी रेखाएं हैं, तो आपकी लव लाइफ में मुश्किलें आ सकती हैं, यहां तक कि बिछड़ना भी पड़ सकता है।
ऐसी रेखा होने पर व्यक्ति हमेशा प्रेम सम्बध में जूझता रहता है और अंत में उसकी प्रेम कहानी अधूरी तक रह जाती है।
शादी ऐसी रेखा के कारण खुशहाल रहती है:
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार विवाह रेखा सूर्य रेखा को छूती है, तो आपका रिश्ता अमीर परिवार में होगा। वहीं, दो भागों में बंटी हुई विवाह रेखा तलाक का संकेत देती है।
अगर विवाह रेखा सूर्य रेखा को छू जाती है, तो ऐसे व्यक्ति का रिश्ता किसी समृद्ध और संपन्न परिवार में होता है। इसके अलावा दो भागों में बंटी हुई विवाह रेखा शादी टूटने का संकेत देती है।
विवाह टूटी - फूटी रेखा का अर्थ :
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार अगर आपकी हथेली में विवाह रेखा टूटी - फूटी है, तो इसका अर्थ यह है कि विवाह या प्रेम सम्बध में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।
टूटी - फूटी रेखा होने से व्यक्ति के प्रेम सम्बध भी कई बार टूटते हैं।
इसके विपरीत अगर विवाह रेखा साफ और गहरी है, तो इसका अर्थ है कि वैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद मिलेगा।
नवग्रहों की बैठक शनि, राहु, केतु, हथेली में क्या फल देती है:
जिस प्रकार ज्योतिष में सात ग्रह मुख्य और दो छाया ग्रह राहु और केतु हैं, उसी प्रकार हाथ में भी सात मुख्य पर्वत होते हैं, जो सातों ग्रहों के प्रतीक हैं। हथेली का गड्ढा और उसके पास का क्षेत्र राहु और केतु का प्रतीक और केतु का प्रतीक है।
हाथ की प्रथम उंगली जिसे तर्जनी कहते हैं, के नीचे के स्थान को गुरु पर्वत कहा जाता है और इसी कारण तर्जनी उंगली को जुपीटर फ़िगर या बृहस्पति की उंगली कहते हैं। बृहस्पति को बलवान करने के लिए इसी उंगली में सोने की अंगूठी में पुखराज धारण किया जाता है।
हाथ की दूसरी उंगली जो कि हाथ की सबसे बड़ी उंगली होती है, को मध्यमा उंगली कहा जाता है, हस्तरेखा में इसे शनि की उंगली कहते हैं, इस उंगली के नीचे वाला पर्वत शनि पर्वत कहलाता है।
हाथ की तीसरी अँगुली अनामिका अथवा सूर्य की उंगली कहलाती है, इस उंगली के नीचे वाले पर्वत को सूर्य पर्वत कहते हैं।
हाथ की चौथी उंगली को कनिष्ठिका, बुध की उंगली कहते हैं, इसके नीचे वाला पर्वत बुध पर्वत कहलाता है।
अँगूठे के तीसरे पोर और जीवन रेखा के भीतर वाले उभरे हुए स्थान को शुक्र पर्वत कहते हैं।
मणिबन्ध रेखाओं के ऊपर और जीवन रेखा के उस पार शुक्र पर्वत के सामने वाले क्षेत्र को चन्द्र पर्वत कहते हैं।
शुक्र पर्वत और गुरु पर्वत के बीच के क्षेत्र को मंगल पर्वत कहते हैं।
बुध पर्वत और चन्द्र पर्वत के बीच के क्षेत्र को केतु पर्वत कहते हैं।
केतु का दूसरा सिरा राहु है, इस लिये केतु पर्वत के सामने के क्षेत्र को जिसे हथेली का गड्ढा भी बोला जाता है वह राहु पर्वत कहलाता है, यह प्रायः शनि और सूर्य पर्वत के नीचे होता है।
फलादेश - जिस हाथ में जो भी पर्वत लुप्त हो, उस व्यक्ति में उस ग्रह विशेष के गुणों की कमी अथवा न्यूनता होती है।
जो पर्वत सामान्य रूप से विकसित हो, उस ग्रह के गुण व्यक्ति में सामान्य रूप से होते हैं तथा जो पर्वत अधिक विकसित हो, उस ग्रह के गुण व्यक्ति में विशेष रूप से अधिक पाए जाते हैं।
उदाहरण, यदि किसी व्यक्ति के हाथ में गुरु पर्वत सर्वाधिक विकसित है, तो वह व्यक्ति बहुत धनवान, ज्ञानवान होकर जीवन में उच्च पद प्राप्त करता है।
यदि बुध पर्वत अधिक विकसित है, तो वह व्यक्ति चतुर और सफल व्यापारी एवं बोलने में दक्ष होता है।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरू
( द्रविड़ ब्राह्मण )