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जय द्वारकाधीश
।। देवी भागवत ओर ज्योतिष के अनुसार नवरात्री ऊपर वार्षिक फल के अनुमान ।।
देवी भागवत ओर ज्योतिष के अनुसार नवरात्री ऊपर वार्षिक फल के अनुमान
नवरात्र में माँ दुर्गाजी का आगमन एवं प्रस्थान-वाहन .
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देवी भागवत के अनुसार अश्विन माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक के नौ दिन देवी पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने गए हैं।
इन दिनों को शारदीय नवरात्र कहा जाता है।
वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह है।
लेकिन हर नवरात्र पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं।
देवी के अलग - अलग वाहनों पर सवार होकर आने से इसका अलग - अलग शुभ - अशुभ फल बताया गया है।
माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं।
उसके अनुसार साल भर होने वाली घटनाओं का भी आंकलन किया जाता है।
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शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता
देवी भागवत के इस श्लोक के अनुसार सोमवार व रविवार को नवरात्र प्रारंभ होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं।
शनिवार और मंगलवार को नवरात्र शुरू होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है।
गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर माता डोली में बैठकर आती हैं।
बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
तत्तफलम: गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।
देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है।
तो पानी ज्यादा बरसता है।
घोड़े पर आती हैं।
तो पड़ोसी देशों से युद्ध की आशंका बढ़ जाती है।
देवी नौका पर आती हैं।
तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं।
तो महामारी का भय बना रहता हैं।
देवी जी का प्रस्थान वाहन............
देवी भागवत के अनुसार नवरात्र का आखिरी दिन तय करता है।
कि जाते समय माता का वाहन कौन सा होगा।
अर्थात् नवरात्र के अंतिम दिन कौन सा वार है।
उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है।
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
देवी का प्रस्थान वाहन ...........
ज्योतिष के अनुसार रविवार और सोमवार को देवी भैंसा की सवारी से जाती हैं।
तो देश में रोग और शोक बढ़ता है।
शनिवार और मंगलवार को देवी चरणायुध पर ( मुर्गे पर सवार होकर ) जाती हैं।
जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है।
बुधवार और शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं।
इससे बारिश ज्यादा होती है।
गुरुवार को मां भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं।
इससे जो सुख और शांति की वृद्धि होती है।
सवारी से जुड़ता है भविष्य.............
कहते हैं कि मां की सवारी से मां का रूख आंका जाता है ।
जिससे भविष्य की कल्पना की जाती है।
इस बार मां की सवारी 'घोड़ा' है जो कि शक्ति और युद्द का प्रतीक है ।
इस लिए ज्योतिषियों के अनुसार माँ का 'घोड़े' पर आना शासन के लिए तो अच्छा नहीं है।
घोड़ा युद्ध का प्रतीक माना जाता है।
घोड़े पर माता का आगमन शासन और सत्ता के लिए अशुभ माना गया है।
इससे सरकार को विरोध का सामना करना पड़ता है और सत्ता परिवर्तन का योग बनता है।
लेकिन जन सामान्य ( जनता ) के लिए अच्छा होगा क्योंकि घोड़ा शक्ति ।
तेजी और बुद्दिमानी का सूचक है।
इसके साथ ही विजयादशमी 25 अक्टूबर 2020 रविवार के दिन है।
रविवार के दिन विजयादशमी होने पर माता हाथी पर सवार होकर वापस कैलाश की ओर प्रस्थान करती हैं।
माता की विदाई हाथी पर होने से आने वाले वर्ष में खूब वर्षा होगी।
इससे अन्न का उत्पादन अच्छा होता है।
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निर्दिष्ट फलाफल की अवधि आगामी नवरात्र तक की मानी गई हैं।
🙏 जय माँ अंबे 🙏
🙏 हर हर महादेव हर 🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏