सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
विवाह मुहूर्तों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है वसंत पंचमी की तिथि : -
हिरण्यपाणिः सविता विचर्षणिरुभे
द्यावापृथिवी अन्तरीयते ।
*अपामीवां बाधते वेति सूर्यमभि*
*कृष्णेन रजसा द्यामृणोति ॥*
स्वर रहित पद पाठ
हिरण्य पाणिः।
सविता स्वर्णिम हाथों से युक्त सर्वद्रष्टा सवितादेव आकाश और पृथ्वी के मध्य गति करते हैं।
वे रोगादि बाधाओं का शमन कर अंधकार नाशक तेज से आकाश को प्रकाशित करने वाले हैं।
हिरण्यहस्तो असुर: सुनीथ: सुमृलोक: स्ववां यात्वर्वाङ्
अपसेधेन् रक्षसो यातुधानानस्थाद् देव: प्रतिदोषं गृणान:।।
सभी मनुष्यों के समस्त दोषों का,दैत्यों और दुष्कर्मियों का दमन करनेवाले सूर्य सदा हमारे अनुकूल रहें।
स्वर्णिम तेजयुक्त किरणों से युक्त, प्राणदाता, कल्याणकारक, सुखप्रदाता सूर्य दिव्य गुणों वाले हैं।
ये ते पन्था: सवित: पूर्व्यासो ऽरेणव: सुकृता अन्तरिक्षे तेभिर्नो अद्य:पथिभि: सुगेभी रक्ष च नो अधि च ब्रूहि देव।।
हे सविता देव!
आकाश में यह धूलरहित सुगम मार्ग सुनिश्चित है।
हमें देवत्व से युक्त करने वाले आप उन सुगम मार्गों से आकर हमें संरक्षित करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी वसंत पंचमी के ही दिन मनुष्यों को वाणी की शक्ति मिली थी ।
जिसके बारे में कहा जाता है....!
कि परमपिता ब्रह्मा ने सृष्टि का कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का।
इस जल से हाथ में वीणा धारण किए जो शक्ति प्रगट हुई, वह सरस्वती कहलाईं।
विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का दिवस 'वसंत पंचमी' देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन से धार्मिक, प्राकृतिक और सामाजिक जीवन में बदलाव आने लगता है।
वसंत पंचमी की तिथि से वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
यह तिथि खासतौर पर विवाह मुहूर्तों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
यही वजह है कि इस शुभ दिन का इंतजार विवाह करने वाले लोगों को साल भर से रहता है।
इस पर्व पर न सिर्फ मांगलिक कार्य करना, बल्कि खरीदी − बिक्री, भूमि पूजन, गृह प्रवेश सहित अन्य कार्य करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
यह सिर्फ आनंद का ही नहीं बल्कि नए संकल्प लेने और उसके लिए साधना आरंभ करने का पर्व भी है।
देवी भागवत में उल्लेख मिलता है कि माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द शक्ति जिव्हा को प्राप्त हुई थी।
वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती की पूजा और हल्दी का ही तिलक लगाने का भी विधान है।
पीला रंग इस बात का द्योतक है कि फसलें पकने वाली हैं इसके अलावा पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है।
इस पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों सोने की तहर चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं और इधर उधर रंगबिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं।
इस पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन से फाग खेलना शुरू हो जाता है और चारों ओर आनंद तथा भक्ति का वातावरण नजर आता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मनुष्यों को वाणी की शक्ति मिली थी जिसके बारे में कहा जाता है कि परमपिता ब्रह्मा ने सृष्टि का कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का।
इस जल से हाथ में वीणा धारण किए जो शक्ति प्रगट हुई, वह सरस्वती कहलाईं।
उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द और वाणी मिल गई।
इस दिन उत्तर भारत के कई भागों में पीले रंग के पकवान बनाए जाते हैं और लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं।
पंजाब में ग्रामीणों को सरसों के पीले खेतों में झूमते तथा पीले रंग की पतंगों को उड़ाते देखा जा सकता है।
पश्चिम बंगाल में ढाक की थापों के बीच सरस्वती माता की पूजा की जाती है तो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में प्रसिद्ध सिख धार्मिक स्थल गुरु − का − लाहौर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही सिख गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था।
वसंत पंचमी के दिन कोई भी नया काम प्रारम्भ करना भी शुभ माना जाता है।
जिन व्यक्तियों को गृह प्रवेश के लिए कोई मुहूर्त ना मिल रहा हो वह इस दिन गृह प्रवेश कर सकते हैं या फिर कोई व्यक्ति अपने नए व्यवसाय को आरम्भ करने के लिए शुभ मुहूर्त को तलाश रहा हो तो वह वसंत पंचमी के दिन अपना नया व्यवसाय आरम्भ कर सकता है।
इसी प्रकार अन्य कोई भी कार्य जिनके लिए किसी को कोई उपयुक्त मुहूर्त ना मिल रहा हो तो वह वसंत पंचमी के दिन वह कार्य कर सकता है।
दुर्गा सप्तशती में सरस्वती के दिव्य रूप को दुर्गा का ही एक रूप माना गया है। सरस्वती कला और विद्या की देवी हैं। ज्ञान के साथ−साथ उन्हें पवित्रता, सिद्धि, शक्ति और समृद्धि की देवी भी माना गया है। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। वे ज्ञान की गंगा हैं।
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏