google() // Google's Maven repository https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 1. आध्यात्मिकता के नशा की संगत और ज्योतिष : 09/15/20

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।। जन्म कुंडली एक अध्ययन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। जन्म कुंडली एक अध्ययन जन्म कुंडली में गजकेसरी योग से चमत्कारिक लाभदायक तथा भाग्योदय निश्चित होता है जाने ...।।

जन्म कुंडली एक अध्ययन :


किसी महापुरुष या महामानव का जन्म ----

रविवार 13 सितम्बर 2020 को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 37 मिनट पर एक खगोलीय घटना घटित हुई 6 ग्रह अपने  अपने घरों  मे पहंचकर स्वग्ही हो गये हैं। 



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9 ग्रहों मे 7  ग्रहों के अपने  अपने घर हैं,उनमें 6 ग्रह स्वग्ही हो जाते हैं तो रह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है।


जब चार ग्रह स्वगृही होते हैं तो भी उत्तम योग बनता है। 

ऐसै योग मे जन्मे लोग शक्ति सम्पन्न होते हैं।




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और कई बार  इनके पीछे जन सैलाब होता है।

जब पांच ग्रह स्वगृही योग बनाते हैं तो किसी महाशक्ति संपन्न व्यक्ति का जन्म होता है।

इसी प्रकार 6/7ग्ह स्वगृही हों तो   इन्हीं मे से चुपचाप किसी महापुरुष या अवतारी शक्ति का प्रकाट्य होता है।पर इतना ही काफी नहीं है इसके अलावा ग्रहों की व्यक्ति गत स्थितियांभी जिम्मेदार होती हैं।




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पूरे दिन 12 प्रकार की कुण्डलियां निर्मित होती हैं ।

पूरी संभावना है कि 51 घंटा 58 मिनट मे किसी सर्वशक्ति संपन्न महापुरुष या अवतारी शक्ति सम्पन्न का जन्म हो चुका होगा ।
 
इसी बीचमऍ कई योग बनतै हैंजिससे किसी बडे वैज्ञानिक  दार्शनिक गणितज्ञ या बहुत बडे विद्वान् या राजनेता याशक्ति सम्पन्न व्यक्ति धरती पर जन्म लेंगे ।
जिसे शताब्दियों तक याद रखा जायेगा ।।

जय श्री कृष्ण....!!!




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जन्म कुंडली में गजकेसरी योग से चमत्कारिक लाभदायक तथा भाग्योदय निश्चित होता है जाने ...


कुंडली में यह योग होने पर चंद्रमा अथवा चंद्र लग्न को गुरु या दूसरे शुभ ग्रह शक्ति और लाभ प्रदान करते हैं। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है 


और इसका संबंध जल से होता है। 

व्यक्ति के मान, सम्मान, धन, स्वास्थ्य, शक्ति, धैर्य प्राप्ति में इनका मुख्य योगदान होता है।


बहुत से व्यक्तियों की कुंडली में गज केसरी योग होने के पश्चात भी उनका जीवन संघर्षों से भरा देखा गया है। बहुत से कारण होते हैं जो राज केसरी योग पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।


बहुत बार कुंडली में बन रहे इस योग के प्रभाव को अन्य योग भंग कर देते हैं और व्यक्ति भाग्य का धनी होते हुए भी संघर्षों में अपना जीवन व्यतीत करता है।


विडंबना यह है कि व्यक्ति को इस बात का पता तक नहीं होता। 

राजकेसरी योग के फलादेश में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है-




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शुभ गुरु-चंद्र – 

जब भी किसी की कुंडली में गज केसरी योग से प्राप्त होने वाले फलों पर विचार किया जाता है, तो गुरु और चंद्रमा के भावों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।


गुरु की शुभता का प्रभाव इस योग पर विशेष रूप् से पड़ता है। 

यदि गुरु और चंद्रमा के भावों में अशुभता का समावेश है जो इस योग का लाभकारी प्रभाव कम हो जाता है।


चंद्र का नकारात्मक स्थिति में होना – 

यदि किया व्यक्ति की कुंडली में चंद्र की स्थिति नकारात्मक है, तो इसे गज केसरी योग के अनुकूल कदापि नहीं समझा जाएगा।


यदि चंद्र के पहले, दूसरे तथा बारहवें भाव में कोई ग्रह न हो और चंद्र भी केमद्रुम योग में न हो, तो यह गज केसरी योग के लिए अत्यन्त लाभकारी माना जाता है।


परंतु यदि चंद्र गंडान्त में हो, उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो यह गज केसरी योग के लाभ पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।


गुरु और चंद्र का अशुभ योग – 

जब गुरु से चंद्र छठे, आंठवें अथवा बारहवें स्थान पर होता है, तो शकट योग का निर्माण करता है। 

इस योग को बनने का कारण गुरु से चंद्र की शडाष्टक भाव में होना है, इसलिए यह अनिष्टकारी फल देता है।


गज केसरी योग और केमद्रुम योग – 

गुरु के चंद्र के केंद्र में होने से गज केसरी योग बनता है। 

इस योग से लाभकारी फल प्राप्त करने के लिए चंद्र के दोनों ओर के भावों में सूर्य, राहू-केतू के अतिरिक्त अन्य पाँच ग्रहों में से किसी भी ग्रह का उपस्थित होना आवश्यक है।


गुरु का नकारात्मक स्थिति में होना –

गुरु यदि वक्री हो तो गज केसरी योग से होने वाले लाभों में कमी आ जाती है। 


यदि कोई पाप ग्रह इस योग पर नकारात्म्क दृष्टि डाल रहा हो, तो संभावना यह होती है कि उस ग्रह की अशुभ विशेषताएँ इस योग में भी आ जाएँ।


गुरु और चंद्रमा की शुभ दृष्टि – 


आपकी कुंडली में यदि गुरु और चंद्रमा उच्च स्थिति में हैं, तो यह गज केसरी योग आपको बहुत ही शुभ परिणाम देगा। 


यदि इन दोनों मे से एक भी ग्रह अपनी मुलकोण राशि में विराजमान हो और दूसरे ग्रह की स्थिति भी शुभ हो, तो भी गज केसरी योग का लाभकारी प्रभाव बना रहता है।


ग्रहो की दशा का गज केसरी योग पर प्रभाव – कुंडली में बन रहे किसी भी योग का परिणाम उससे संबंध रखने वाले ग्रहों की दशाओं पर निर्भर करता है।


बहुत बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में धनयोग और राजयोग होते हैं, परंतु ग्रहों की महादशा नहीं बन रही होती। 

इस कारण उस व्यक्ति की कुडली में बन रहा धनयोग और राजयोग फलहीन हो जाते हं। 


गज केसरी योग भी केवल तभी फलदायक सिद्ध होता है जब इस योग को गुरु और चंद्र की महादशा की प्राप्ति हो रही हो।


सामान्यतः यह देखा गया है कि गज केसरी योग का लाभकारी फल केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त हुआ है, जो  गुरु या चंद्र की महादशा में पैदा हुए हैं।


इसके अतिरिक्त गुरु या चंद्र की अंतर्दशा में पैदा हुए व्यक्तियों को भी गज केसरी योग का शुभ फल मिलता है।


और भी बहुत सारे योग होते हैं हमारी जन्मकुंडली में जो हमें मालूम नहीं होता है और हम भविष्य से जुड़ा होगा इन योग से लाभ नहीं ले पाते है आइए हम आप सभी लोग ग्रहों के बारे में जानकारी प्राप्त करें 


और अधिक जानकारी समाधान उपाय विधि प्रयोग और विश्लेषण वास्तु हस्तरेखा फेस रीडिंग भविष्यफल रत्न की जानकारी के लिए संपर्क करें 

जय श्री कृष्ण....!!!

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-

PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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