।। जन्म कुंडली एक अध्ययन जन्म कुंडली में गजकेसरी योग से चमत्कारिक लाभदायक तथा भाग्योदय निश्चित होता है जाने ...।।
जन्म कुंडली एक अध्ययन :
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जन्म कुंडली में गजकेसरी योग से चमत्कारिक लाभदायक तथा भाग्योदय निश्चित होता है जाने ...
कुंडली में यह योग होने पर चंद्रमा अथवा चंद्र लग्न को गुरु या दूसरे शुभ ग्रह शक्ति और लाभ प्रदान करते हैं। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है
और इसका संबंध जल से होता है।
व्यक्ति के मान, सम्मान, धन, स्वास्थ्य, शक्ति, धैर्य प्राप्ति में इनका मुख्य योगदान होता है।
बहुत से व्यक्तियों की कुंडली में गज केसरी योग होने के पश्चात भी उनका जीवन संघर्षों से भरा देखा गया है। बहुत से कारण होते हैं जो राज केसरी योग पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
बहुत बार कुंडली में बन रहे इस योग के प्रभाव को अन्य योग भंग कर देते हैं और व्यक्ति भाग्य का धनी होते हुए भी संघर्षों में अपना जीवन व्यतीत करता है।
विडंबना यह है कि व्यक्ति को इस बात का पता तक नहीं होता।
राजकेसरी योग के फलादेश में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है-
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शुभ गुरु-चंद्र –
जब भी किसी की कुंडली में गज केसरी योग से प्राप्त होने वाले फलों पर विचार किया जाता है, तो गुरु और चंद्रमा के भावों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
गुरु की शुभता का प्रभाव इस योग पर विशेष रूप् से पड़ता है।
यदि गुरु और चंद्रमा के भावों में अशुभता का समावेश है जो इस योग का लाभकारी प्रभाव कम हो जाता है।
चंद्र का नकारात्मक स्थिति में होना –
यदि किया व्यक्ति की कुंडली में चंद्र की स्थिति नकारात्मक है, तो इसे गज केसरी योग के अनुकूल कदापि नहीं समझा जाएगा।
यदि चंद्र के पहले, दूसरे तथा बारहवें भाव में कोई ग्रह न हो और चंद्र भी केमद्रुम योग में न हो, तो यह गज केसरी योग के लिए अत्यन्त लाभकारी माना जाता है।
परंतु यदि चंद्र गंडान्त में हो, उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो यह गज केसरी योग के लाभ पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
गुरु और चंद्र का अशुभ योग –
जब गुरु से चंद्र छठे, आंठवें अथवा बारहवें स्थान पर होता है, तो शकट योग का निर्माण करता है।
इस योग को बनने का कारण गुरु से चंद्र की शडाष्टक भाव में होना है, इसलिए यह अनिष्टकारी फल देता है।
गज केसरी योग और केमद्रुम योग –
गुरु के चंद्र के केंद्र में होने से गज केसरी योग बनता है।
इस योग से लाभकारी फल प्राप्त करने के लिए चंद्र के दोनों ओर के भावों में सूर्य, राहू-केतू के अतिरिक्त अन्य पाँच ग्रहों में से किसी भी ग्रह का उपस्थित होना आवश्यक है।
गुरु का नकारात्मक स्थिति में होना –
गुरु यदि वक्री हो तो गज केसरी योग से होने वाले लाभों में कमी आ जाती है।
यदि कोई पाप ग्रह इस योग पर नकारात्म्क दृष्टि डाल रहा हो, तो संभावना यह होती है कि उस ग्रह की अशुभ विशेषताएँ इस योग में भी आ जाएँ।
गुरु और चंद्रमा की शुभ दृष्टि –
आपकी कुंडली में यदि गुरु और चंद्रमा उच्च स्थिति में हैं, तो यह गज केसरी योग आपको बहुत ही शुभ परिणाम देगा।
यदि इन दोनों मे से एक भी ग्रह अपनी मुलकोण राशि में विराजमान हो और दूसरे ग्रह की स्थिति भी शुभ हो, तो भी गज केसरी योग का लाभकारी प्रभाव बना रहता है।
ग्रहो की दशा का गज केसरी योग पर प्रभाव – कुंडली में बन रहे किसी भी योग का परिणाम उससे संबंध रखने वाले ग्रहों की दशाओं पर निर्भर करता है।
बहुत बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में धनयोग और राजयोग होते हैं, परंतु ग्रहों की महादशा नहीं बन रही होती।
इस कारण उस व्यक्ति की कुडली में बन रहा धनयोग और राजयोग फलहीन हो जाते हं।
गज केसरी योग भी केवल तभी फलदायक सिद्ध होता है जब इस योग को गुरु और चंद्र की महादशा की प्राप्ति हो रही हो।
सामान्यतः यह देखा गया है कि गज केसरी योग का लाभकारी फल केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त हुआ है, जो गुरु या चंद्र की महादशा में पैदा हुए हैं।
इसके अतिरिक्त गुरु या चंद्र की अंतर्दशा में पैदा हुए व्यक्तियों को भी गज केसरी योग का शुभ फल मिलता है।
और भी बहुत सारे योग होते हैं हमारी जन्मकुंडली में जो हमें मालूम नहीं होता है और हम भविष्य से जुड़ा होगा इन योग से लाभ नहीं ले पाते है आइए हम आप सभी लोग ग्रहों के बारे में जानकारी प्राप्त करें
और अधिक जानकारी समाधान उपाय विधि प्रयोग और विश्लेषण वास्तु हस्तरेखा फेस रीडिंग भविष्यफल रत्न की जानकारी के लिए संपर्क करें
जय श्री कृष्ण....!!!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-