google() // Google's Maven repository https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 1. आध्यात्मिकता के नशा की संगत और ज्योतिष : 07/06/20

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पूर्व जन्म और कर्म का फल ....?

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

पूर्व जन्म ओर कर्मफल ?....


में 2012 से गुजरात से ले कर आज के दिन तक ही इधर रामेश्वरम तामिलनाडू में आकर रहता हूं । 

कि ऐसा मेरा पूर्व जन्म के इस धरती का अन्न खाने का लेणा देणी बाकी रह गई होगी तो इधर रह कर अन्न खाता हूं और इस धरती का ऋण मुक्त हो रहा हु ।

ये ही पूर्व जन्म और कर्म फल की बात हमको महाभारत में भी मिलती है । 




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जब महाराज धृतराष्ट्र ने भगवान वेदव्यासजी महाराज को पूछ लिया ! 

कि महाराज ! 

मेरे सो पुत्र मेरे सामने ही मारे गए....!

बड़ा आश्चर्य है ! 

मुझे अपने पिछले सो जन्मों का तो पूरा स्मरण है कि मैने एक भी पाप उनमें नही किया...!

फिर मेरे सो बेटे क्यों मरे मेरे सामने ? 

व्यासजी बोले - 

अरे मूर्ख...!

बस, तू तो सृष्टि जब से बनी है।

तब से जन्म ले रहा है।

न जाने कब क्या क्या किया तूने ? 

धृतराष्ट्र  बोले -  

तो महाराज ! 

बताओ ! 

उनके अंदर का अंधेरा दूर हो चुका था । 

व्यासजी ने बताया के सौ जन्मों से पूर्व तू भारतवर्ष के एक बड़ा ही प्रतापी ओर धार्मिक राजा था । 

तब रामेश्वरम को जाते हुए मानसरोवर के हंसो ने तेरे बागमे अपने परिवार के साथ बसेरा किया । 

उसमे एक हंस की हंसनी गर्भवती थी । 



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वह तुम्हारे पास आया और तुमने निवेदन किया कि में अपनी गर्भवती पत्नी को बाग में छोड़े जा रहा हु ओर वह हंस रामेश्वरम चला गया ! 

इधर उस हँसिनीने सौ बच्चो को जन्म दिया । 

तुमने उन्हें चुगने के लिये मोती दिये । 

एक दिन तुम्हारे रसोइयेने एक हंसके बच्चे को पकाकर तुझे खिला दिया । 

तुम्हे वह बड़ा स्वादिष्ट लगा और तुमने बिना विचार किये उसे आज्ञा दिया कि इसी प्रकार का मांस नित्य पकाया जाय । 

अब देखो....!

जीभ इन्द्रिय ने बल पकड़ा , तुमने यह भी नही पूछा कि यह क्या है ?

कहा से प्राप्त होता है ? 



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तुम मोह में अंधे हो गए और रोज उसी मांस की इच्छा करने लगे और इस प्रकार उस हंसिनी के मोती चुगने वाले सौ - के सौ बच्चो को तुम खा गए । 

अब वह हंसनी अकेली रह गई । 

हंस जब रामेश्वरम की यात्रा से वापस आया तो हंसनी से पूछ लिया कि यह क्या ओर कैसे हुआ ?

उसने कहा कि राजा से ही पूछ लो । 

हंसने राजा से कहा कि तुमने मेरे सौ बच्चो का मांस खा लिया ? 

राजा ने रसोइयेको बुलाकर पूछा । 

उसने कहा कि महाराज ! 

यह तो आपकी आज्ञा थी कि इसी को नित्य बनाया करो । 

राजा धर्मात्मा था।

परंतु इस भयंकर पाप से बड़ा घबराया । 

तब हंस हँसिनीने कहा कि तूने अंधे होकर यह काम किया , तू अंधा ही हो जाएगा और तेरे सामने ही तेरे सौ पुत्र मरेंगे । 

ऐसा कहकर उन्हों ने प्राण त्याग दिये । 

व्यासजी बोले - 

है राजन ! 

सौ जन्म तक तू राजा और वह राणी एक साथ नही हुए , अब तुम दोनों इस जन्ममें राजा और महारानी बने हो तो यह घटना घटित हुई और उस जन्म के उस कर्म का फल भोगने पड़ा ।


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ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम। 
 कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।।

मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर ताकत एवं
  पराक्रम का कारक माना जाता है । 

मंगल ग्रह की सम्पूर्ण जानकारी -

पुरुष,सेनापति,क्षत्रिय जाति, चौपाया स्वरूप,पित्त प्रधान, पाप एवं क्रूर ग्रह, तमोगुणी, क्रोध स्वभाव,गोरा लाल मिश्रित रंग,युवा दिखने वाला, सामान्य ऊंचाई शरीर, उदार विचारों वाला, चंचल स्वभाव, पतली कमर वाला,सुंदर अंग प्रतापी व्यक्तित्व, कामुक, आंखो हीं आँखों में क्रोध व असहमति प्रकट करने वाला आयु बालावस्था, 28 वर्ष में अपना विशेष फल देने वाला  निवास अग्नि स्थान, रसोई , यज्ञ भूमि,बौद्ध विहार,आश्रम, पर्वत एवं वन।

कारक रक्त मज्जा,मांसपेशी,भाई - बहन, पराक्रम,क्रोध, हिंसा,भूमि, अचल संपत्ति,साहसिक कार्य, अग्नि  बिरदरी ( कुनबा ) धैर्य, मानसिक संतुलन, रोग, चोरी, धोखा,चालाकी हत्या, प्रतिशोध, दुर्घटना,चिकित्सा, दवाई, बिजली,अग्नि के कारक ग्रह होते हैं । 



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इसका अधिकार सिर पर रहता है ।

मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर ताकत एवं पराक्रम का कारक माना जाता है । 

मंगल प्रत्येक व्यक्ति में शारीरिक ताकत तथा मानसिक शक्ति एवम मजबूती का प्रतिनिधित्व करते हैं । 

मानसिक शक्ति का अर्थ निर्णय लेने की क्षमता और उस निर्णय पर टिके रहने की क्षमता से है । 

मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक आम तौर पर तथ्यों के आधार पर उचित निर्णय लेने में तथा उस निर्णय को व्यवहारिक रूप देने में भली प्रकार से सक्षम होते हैं ।

ऐसे जातक सामान्यतया किसी भी प्रकार के दबाव के आगे घुटने नहीं टेकते तथा इनके उपर दबाव डालकर अपनी बात मनवा लेना बहुत कठिन होता है और इन्हें दबाव की अपेक्षा तर्क देकर समझा लेना ही उचित होता है। 

मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक शारीरिक रूप से बलवान तथा साहसी होते हैं । 

ऐसे व्यक्ति विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लेते हैं तथा सफलता प्राप्त करने के लिए बार - बार प्रयत्न करते रहते हैं एवं  अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं तथा मुश्किलों के कारण आसानी से विचलित नहीं होते।

मांगलिक योग – लग्न से  प्रथम, चतुर्थ,सप्तम,अष्ठम,एवं द्वादश भाव में मंगल विराजमान हो तो मांगलिक योग होता है । 

मतलब कहीं  से भी मंगल विराजमान होकर सप्तम भाव में प्रभाव डाले तो मांगलिक योग होता है । 

वैवाहिक जीवन के लिए सप्तम के साथ द्वितीय भाव का भी बहुत महत्व होता है क्योकि द्वितीय भाव कुटुंब का होता है । 

अष्ठम भाव कुंडली में जीवन साथी का द्वितीय भाव होता है इस लिए अष्ठम भाव में विराजमान मंगल को भी मांगलिक योग मान लिया गया । 


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इसके और भी कारण बताए गए है। 

सिर्फ मंगल से हीं इतना डर एवं भय क्यों ? 

अक्सर देखा गया है की सप्तम भाव पर सूर्य ,राहू एवं केतू का प्रभाव भी वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं होता है । 

सप्तम भाव जीवनसाथी  का घर होता है । 

जिससे आप प्रेम पूर्वक व्यवहार करें । 

यहाँ प्रेम की जरूरत है । 

मंगल ( सूर्य , राहू , केतू ) ये क्रूर मतलब क्रोध  एवं अलगाववादी वाले ग्रह  हैं । 

अब जहां प्रेम की आवश्यकता है वहाँ उग्र स्वभाव वाले ग्रह विराजमान होंगे तो आपस में मतभेद होगा । 

परंतु सिर्फ इन भावों में मंगल विराजमान होने से मांगलिक दोष होगा ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है ।

जैसे यदि मंगल अष्टम या द्वादश भाव में विराजमान होता है तो उसके प्रभाव में बहुत कमी हो जाती है इस लिए इन दो नों भावों में मंगल विराजमान हो तो मांगलिक दोष का ज्यादा प्रभाव नहीं होगा । 

यदि मंगल इन भावों में बैठकर अंश एवं और भी कई प्रकार से बल देखा जाता है उसके हिसाब से यदि बल में बिल्कुल कमजोर है तब भी मांगलिक दोष का प्रभाव नहीं होगा । 

अर्थात इन  भाव में यदि मंगल बिल्कुल कमजोर स्थिति में है तब इन भावों में मंगल विराजमान होने के बाद भी मांगलिक दोष का ज्यादा प्रभाव नहीं होगा ।

शास्त्रों में मांगलिक योग भंग होने के कई प्रकार बताएंगे जैसे यदि किसी की कुंडली में मांगलिक योग है और जिस से विवाह करना है । 

उसकी कुंडली में मांगलिक भाव में यदि शनि तथा राहु जैसे पाप ग्रहों की स्थिति होगी तो मांगलिक दोष भंग हो जाता है । 

( परंतु मुझे लगता है ऐसे योग होने के बावजूद भी यदि मंगल मजबूत स्थिति में है तो मांगलिक दोष समाप्त नहीं होगा।

यदि मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो कुछ कमी हो सकती है ।

यदि किसी की कुंडली में मांगलिक दोष है और मांगलिक कन्या से विवाह कर दिया जाए तब भी मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है ।  

परंतु मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जिनकी विवाह मांगलिक जीवनसाथी से हुई  परंतु फिर भी आपस में मतभेद एवं परेशानी बनी रही ।

कई लोग ऐसा मानते हैं कि मंगल स्वराशि का होगा तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाएगा परंतु मैंने देखा कि ऐसा नहीं होता क्योंकि कोई भी क्रूर ग्रह अपने घर में विराजमान होगा तो और भी ज्यादा प्रभावशाली होगा कम होने का प्रश्न ही नहीं उठता है । )



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यदि किसी की भी कुंडली में सप्तम भाव की राशि मंगल का शत्रु भाव है  तब वहां मांगलिक दोष का ज्यादा प्रभाव होगा !

और ऐसे में जीवन साथी के सुख में कमी एवं परेशानी होगी । 

यदि कुंडली में सप्तम भाव मंगल का मित्र राशि हो एवं मंगल कुंडली में कारक भाव का स्वामी हो तब मांगलिक दोष का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं होगा । 

यदि मंगल सप्तम भाव में स्वराशि का होगा तब यह होगा कि मांगलिक दोष का प्रभाव तो रहेगा जीवनसाथी से लड़ाई झगड़ा मतभेद होता रहेगा परंतु इसमें वैवाहिक जीवन का सुख लंबे समय तक रहेगा । 

अंत में मैं यही कहना चाहता हूं कि सिर्फ शास्त्र में जो मांगलिक योग या दोष  के विषय में बताया गया है सिर्फ उसको पढ़कर यह नहीं मान लेना चाहिए कि मांगलिक दोष के कारण वैवाहिक जीवन में बहुत ज्यादा समस्या होगी इसमें बहुत कुछ देखना पड़ता है ।

मांगलिक दोष को ठीक करने का मुख्य उपाय यह  है कि यदि जिसकी भी कुंडली में मांगलिक दोष है वह 15 - 20 साल के उम्र से ही मंगल से संबंधित दान एवं उपाय करते रहें जिससे उसके प्रभाव में कमी हो  । 

यदि कन्या हो तो विवाह के  पूर्व से हीं मंगला गौरी की आराधना करवानी चाहिए या मंगल चंद्रिका स्त्रोत का पाठ करवाना चाहिए । 

मांगलिक दोष को समाप्त करने का सिर्फ एक ही कारण है कि विवाह के चार-पांच वर्ष पूर्व से हैं आप मंगल से संबंधित दान एवं उपाय करते रहे । 

सब से मुख्य बाद मंगल  एक क्रोध वाला ग्रह है जिसके कारण आपस में मतभेद हो जाता है अतः आप अपने क्रोध पर नियंत्रण करें ।  

यदि आप उपाय करते हैं और क्रोध पर नियंत्रण नहीं करते हैं तब कोई उपाय करने से कोई फायदा नहीं है । 

ग्रहों के उपाय के साथ - साथ आपको अपना व्यवहार भी बदलना चाहिए ।

चाहे आप कुंभ विवाह करवा ले चाहे पेड़ पौधे से विवाह करवा ले चाहे कुछ भी करवा ले मांगलिक दोष कभी भी समाप्त नहीं होता आपको इसे ठीक करना पड़ता है एवं अपने व्यवहार को बदलना पड़ता है । 

मैं एक गीत यहां आपको बता रहा हूं यदि आप इसका पालन करेंगे तो मांगलिक दोष आपका कुछ नहीं करेगा ( हो तुमको जो पसंद वही बात कहेंगे । 

तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे ।)

आप इसे मजाक में ना लें यदि आप इसका पालन करते हैं तो निश्चित ही मांगलिक दोष के कारण आपके वैवाहिक जीवन में परेशानी नही होगी ।

सिर्फ मांगलिक दोष के कारण कोई भी विधवा या विधुर नहीं होता है या तलाक नहीं होता है ।  

उसके लिए और बहुत से ग्रहों के योग की आवश्यकता पड़ती है ।

लग्न पर मंगल का प्रभाव हो तो  ऐसे व्यक्ति पराक्रमी होते हैं ऊर्जावान होते हैं देखने में वास्तविक उम्र से कम उम्र के लगते हैं ! 

इन में धैर्य की कमी होती है ऐसे व्यक्ति लड़ने या मारने को उतारूं रहते हैं परंतु बाद में पछताते हैं !

ऐसे व्यक्ति दूसरों की बात नहीं सकते हैं इनमें सहनशीलता नहीं होती है यदि कोई व्यक्ति नुकसान कर दिया तो उससे बदला लेने की योजना अपने मन में बनाते रहते हैं । 

ऐसे व्यक्ति की लंबाई सामान्य होती है ऐसे व्यक्तियों को  सेना पुलिस या इलेक्ट्रॉनिक्स कार्य में सफलता प्राप्त होती है!

यदि मंगल कमजोर या पीड़ित हो तो ये बीमारी होने की संभावना रहती है।

रक्त,सिर की बीमारी ,फोड़ा फुंसी, जलना, कटना,एक्सीडेंट, मूत्राशय संबंधित रोग,हड्डी टूटना, माहवारी संबंधित रोग यदि मंगल कुंडली में कारक हो और फलादेश के हिसाब से लाभ दे रहा हो परंतु कमजोर हो तो इसको प्रबल करने के लिए मूंगा सोने या तांबे में धारण करना चाहिए ।

जब तक मूंगा धारण करने की व्यवस्था ना हो तब तक मंगल का मंत्र जाप करें । 

तांबे की अंगूठी या कड़ा धारण करें । 

अनंतमूल का जड़ धारण करें ।

मंत्र – 

॥ ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाया नमः ॥

यदि जन्म कुंडली में मंगल किसी प्रकार की परेशानी दे रहा हो तो मंगल से संबंधित दान एवं उपाय ( मंगलवार को ) करना चाहिए । 

( किसी युवा सन्यासी या व्यक्ति को या हनुमान मंदिर में ) दान – गुड़ , मसूर की दाल, शहद,लाल वस्त्र,लाल चंदन, तांबा,सिंदूर ।

उपाय – 

हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें । 

गाय को रोटी में गुड रखकर खिलाए । 

हनुमान मंदिर में चोला चढ़ाएं । 

भाई से अच्छा संबंध रखें । 

स्वास्थ्य ठीक हो तो रक्त दान करें । 

( यदि कोई कन्या मांगलिक हो तो मंगला गौरी की आराधना करें तथा मंगल चंडिका स्तोत्र का पाठ करें । )

ज्यो:शैलेन्द्र  सिंगला पलवल
     हरियाणा के साभार से

  || महामंगलेश्वर की जय हो ||

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
SHREE SARSWATI JYOTISH KARYALAY
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Web: https://sarswatijyotish.com/
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी..🙏🙏🙏

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