सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। इस बार दो आश्विन मास मतलब अधिक मास भी है ।।
इस बार दो आश्विन मास मतलब अधिक मास भी है
165 साल बाद ऐसा संयोग, पितृपक्ष के 1 महीने बाद आएगी नवरात्र
हर साल पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता है और घट स्थापना के साथ 9 दिनों तक नवरात्र की पूजा होती है।
यानी पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाता है जो कि इस साल नहीं होगा।
इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा।
अधिकमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा।
आश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होने जा रहा है।
लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है।
इस लिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा।
ज्योतिष की मानें तो 160 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं।
चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है।
इस दौरान देव सो जाते हैं।
देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागृत होते हैं।
इस साल 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे।
इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा।
इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखे जाएंगे।
इस के बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी।
जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे।
पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन माह का अधिकमास होगा। यानी दो आश्विन मास होंगे।
आश्विन मास में श्राद्ध और नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहार होते हैं।
अधिकमास लगने के कारण इस बार दशहरा 26 अक्टूबर को दीपावली भी काफी बाद में 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
क्या होता है अधिक मास
एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है।
दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है।
ये अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है।
इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया है।
अधिक मास को कुछ स्थानों पर मलमास भी कहते हैं।
दरअसल इसकी वजह यह है कि इस पूरे महीने में शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
इस पूरे माह में सूर्य संक्रांति न होने के कारण यह महीना मलिन मान लिया जाता है।
इस कारण लोग इसे मलमास भी कहते हैं।
मल मास में विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
पौराणिक मान्यताओं में बताया गया है कि मलिनमास होने के कारण कोई भी देवता इस माह में अपनी पूजा नहीं करवाना चाहते थे और कोई भी इस माह के देवता नहीं बनना चाहते थे, तब मलमास ने स्वयं श्रीहरि से उन्हें स्वीकार करने का निवेदन किया।
तब श्रीहरि ने इस महीने को अपना नाम दिया पुरुषोत्तम।
तब से इस महीने को पुरुषोत्तम मास भी कहा fजाता है।
इस महीने में भागवत कथा सुनने और प्रवचन सुनने का विशेष महत्व माना गया है।
साथ ही दान पुण्य करने से आपके लिए मोक्ष के द्वार खुलते हैं। जय श्री राम 🌹जय अंबे🌹
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏