सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। ज्योतिष में श्राद्ध का महात्म ।।
ज्योतिष में श्राद्ध का महात्म
श्रद्धया दीयते यत् तत् श्राद्धम् ।।
"श्रद्धा पूर्वक दिया या किया गया कार्य श्राद्ध है"
त्रीणि श्राद्धे पवित्राणि दौहित्रः कुतपस्तिला: ।
त्रीणि चात्र प्रशंसन्ति शौचमक्रोधमत्वराम् ।।
वसिष्ठस्मृति ११/३२
"श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त पवित्र है- दौहित्र, कुतपकाल तथा तिल(काले) और तीन वस्तुएँ अत्यन्त प्रशंसनीय हैं- बाहर-भीतर की शुद्धि, क्रोध न करना तथा जल्दबाज़ी न करना ।"
दिवसस्याष्टमे भागे मन्दी भवति भास्कर:।
स काल: कुतपो ज्ञेय: पितृणां दत्तमक्षयम् ।।
वसिष्ठस्मृति ११/३३
"दिन के आठवे मुहूर्त में जब सूर्य का ताप घटने लगता है, उस समय को 'कुतप' कहते हैं । इस समय (कुतप ) में पितरों के लिए किया श्राद्ध, दान आदि अक्षय होता है।"
एक मुहूर्त अड़तालीस मिनट का होता है । मुहूर्त की गणना सूर्योदय से आरम्भ की जाती है ।
जय श्री कृष्ण...!!!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏