google() // Google's Maven repository https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 1. आध्यात्मिकता के नशा की संगत और ज्योतिष : ।। = ज्योतिष एवं शिव पूजा = ।।

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सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

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ज्योतिष एवं शिव पूजा / वैशाख महीने में शिवलिंग पर गलंतिका बांधने की परंपरा है। / अक्षय तृतीया का क्या है महत्व ?

ज्योतिष शास्त्र में शिव पूजा के द्वारा अनेक ग्रह दोष और उनकी पीड़ाओं से मुक्ति के उपाय बताए गए हैं। 

जिसमें हर राशि के व्यक्ति के लिए भगवान शिव की उपासना और पूजा के विशेष उपाय बताए गए हैं। 





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जिनका शिव आराधना के समय पालन करने पर हर कोई मनचाहा फल पा सकता है। 

वैसे सभी राशि के लोग शिव पूजा किसी भी विधि से कर सकते हैं। 

लेकिन यहां बताए जा रहे शिव पूजा के विशेष उपाय ज्यादा प्रभावकारी माने जाते हैं। 

हर व्यक्ति शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करे। 

शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरुर चढ़ावें। 

इसके अलावा जानते हैं कि किस राशि के व्यक्ति को किस पूजा सामग्री से शिव पूजा अधिक शुभ फल देती है। 

मेष - 

इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। 

शक्कर या गुड़ की मीठी रोटी बनाकर शिव को भोग लगाएं। 

लाल चंदन व कनेर के फूल चढ़ावें। 







वृष- 

इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव का अभिषेक शुभ फल देता है। 

इसके अलावा चावल, सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत यानि चावल चढ़ावें। 

मिथुन - 

इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव अभिषेक करे। 

अन्य पूजा सामग्री में मूंग, दूर्वा और कुशा भी अर्पित करें। 

कर्क - 

इस राशि के शिवभक्त घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। 

साथ ही कच्चा दूध, सफेद आंकड़े का फूल और शंखपुष्पी भी चढ़ावें।

सिंह - 

सिंह राशि के व्यक्ति गुड़ के जल से शिव अभिषेक करें। 

वह गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग शिव को लगाएं। 

गेहूं और मंदार के फूल भी चढ़ाएं। 

कन्या - 

इस राशि के व्यक्ति गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। 

शिव को भांग, दुर्वा व पान चढ़ाएं। 

तुला - 

इस राशि के जातक इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें और दही, शहद और श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाएं। 

सफेद फूल भी पूजा में शिव को अर्पित करें। 

वृश्चिक - 

पंचामृत से शिव का अभिषेक वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। 

साथ ही लाल फूल भी शिव को जरुर चढ़ाएं। 

धनु - 

इस राशि के जातक दूध में हल्दी मिलाकर शिव का अभिषेक करे। 

भगवान को चने के आटे और मिश्री से मिठाई तैयार कर भोग लगाएं। 

पीले या गेंदे के फूल पूजा में अर्पित करें।

मकर - 

नारियल के पानी से शिव का अभिषेक मकर राशि के जातकों को विशेष फल देता है। 

साथ ही उड़द की दाल से तैयार मिष्ठान्न का भगवान को भोग लगाएं। 

नीले कमल का फूल भी भगवान का चढ़ाएं। 

कुंभ - 

इस राशि के व्यक्ति को तिल के तेल से अभिषेक करना चाहिए। 

उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं और शमी के फूल से पूजा में अर्पित करें। 

यह शनि पीड़ा को भी कम करता है। 

मीन - 

इस राशि के जातक दूध में केशर मिलाकर शिव पर चढ़ाएं। 

भात और दही मिलाकर भोग लगाएं। 

पीली सरसों और नागकेसर से शिव का चढ़ाएं।

     हर हर महादेव 

वैशाख महीने में शिवलिंग पर गलंतिका बांधने की परंपरा है।

मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन  में सबसे पहले कालकूट नामक भयंकर विष निकला था तो पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया था। 

तब सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था और अपने गले में रोक लिया था।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास में जब भीषण गर्मी पड़ती है, तब महादेव पर भी विष का असर होने लगता है। 

और उनके शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। 

उसे तापमान को नियंत्रित रखने के लिए ही शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है। 

जिसमें से बूंद - बूंद टपकता जल शिवजी को ठंडक प्रदान करता है।

क्योंकि इस दौरान गर्मी बहुत बढ़ जाती है और शिवलिंग को ठंडक पहुंचाने के लिए ऐसा किया जाता है।

वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से लेकर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तक शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है।

गलंतिका में पानी हमेशा भरा रहे और पानी भी शुद्ध हो।

अगर मटकी बांधें, तो छिद्र छोटा रखें, ताकि बूंद - बूंद पानी शिवलिंग पर प्रवाहित होता रहे।

गलंतिका बांधने के पीछे की मान्यता : -

स्कंद और शिव पुराण के अनुसार वैशाख महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विधान है।

वैशाख महीने में तेज गर्मी पड़ती है, इस लिए शिव पर जलधारा लगाई जाती है।

वैशाख महीने के दौरान तीर्थ स्नान और दान का भी विशेष महत्व बताया गया है।

इस महीने में पशु - पक्षियों को भी जल पिलाने की व्यवस्था किए जाने की परंपरा है।

    || हर हर महादेव शंभो ||

अक्षय तृतीया का क्या है महत्व ?

अक्षय तृतीया : अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। 

इसे आखा तीज भी कहते हैं। 

अक्षय शब्द का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो या जिसका कभी नाश न हो। 

मान्यता के अनुसार कहते हैं कि यदि व्यक्ति दान - पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप आदि जैसे शुभ कर्म करे तो इस से मिलने वाले शुभ फलों का कभी क्षय अर्थात नहीं होता है। 

आओ जानते हैं इस दिन का और क्या है महत्व।
 
1. बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। 

जिस में प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। 

यानी इस तिथि के दिन मुहूर्त देखे बगैर कार्य करते हैं क्योंकि पूरा दिन ही शुभ माना जाता है। 

इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। 

अक्षय तृतीया ( अखातीज ) को अनंत - अक्षय - अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है। 

जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं।
 
2. इस दिन विवाह करना बहुत शुभ माना जाता है। 

इस लिए विवाह के लिए यह सबसे शुभ मुहूर्त होता है। 
 
3. इस दिन सोना खरीदना भी बहुत शुभ होता है।
 
4. इस दिन भगवान नर-नारायण सहित परशुराम और हय ग्रीव का अवतार हुआ था। 

इसके अलावा, ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। 

मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
 
5. बद्रीनारायण के कपाट भी इसी दिन खुलते हैं। 

त्रेतायुग का प्रांरभ भी इसी तिथि को हुआ था। 

इसी दिन सतयुग और त्रैतायुग का प्रारंभ हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ। 
 
6. इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर यह बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य करोगे, उसका पुण्य मिलेगा।
 
7. अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन के बांके बिहारी जी के मंदिर में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं। 

इसी दिन सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे थे।
 
8. अक्षय तृतीया के दिन पंखा, जौ, गेहूँ, चने, सत्तू, दही, चावल, दूध से बने पदार्थ, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली और वस्त्र वगैरह का दान अच्छा माना जाता है।
 
9. इसी दिन पितृ श्राद्ध करने का भी विधान है। 

पितरों ( पूर्वजों ) के नाम से दान करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
 
10. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा विधि - विधान से करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
 
11. अक्षय तृतीया के दिन से ही वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था। 

इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई।
 
12. यह तिथि किसी भी नए काम की शुरुआत, खरीददारी, विवाह के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। 

समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, स्वर्ण खरीदने, नया सामान, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं।

हर हर महादेव हर...!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Ramanatha Swami Covil Car Parking Ariya Strits , Nr. Maghamaya Amman Covil Strits , V.O.C. Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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