सूर्य का हमारे जीव पर प्रभाव और अन्य ग्रहों से युति का फल प्रथम भाग
सूर्य का हमारे जीव पर प्रभाव और अन्य ग्रहों से युति का फल प्रथम भाग
सूर्य :
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यह जगतपिता है,इसी की शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है,यह आत्मा कारक और पितृ कारक है....!
पुत्र राज्य सम्मान पद भाई शक्ति दायीं आंख चिकित्सा पितरों की आत्मा शिव और राजनीति का कारक है.....!
मेष राशि में उच्च का एवं तुला में नीच का ना जाता है,चन्द्रमा देव ग्रह है,तथा सूर्य का मित्र है...!
मंगल भी सूर्य का मित्र है,गुरु सूर्य का परम मित्र है...!
बुध सूर्य के आसपास रहता है, और सूर्य का मित्र है,शनि सूर्य पुत्र है लेकिन सूर्य का शत्रु है...!
कारण सूर्य आत्मा है और आत्मा का कोई कार्य नही होता है...!
जबकि शनि कर्म का कारक है,शुक्र का सूर्य के साथ संयोग नही हो पाता है...!
सूर्य गर्मी है और शुक्र रज है सूर्य की गर्मी से रज जल जाता है,और संतान होने की गुंजायस नही रहती है...!
इसी लिये सूर्य का शत्रु है,राहु विष्णु का विराट रूप है...!
जिसके अन्दर सम्पूर्ण विश्व खत्म हो रहा है...!
राहु सूर्य और चन्द्र दोनो का दुश्मन है...!
सूर्य के साथ होने पर पिता और पुत्र के बीच धुंआ पैदा कर देता है,और एक दूसरे को समझ नही पाने के कारण दोनो ही एक दूसरे से दूर हो जाते है...!
केतु सूर्य का सम है,और इसे किसी प्रकार की शत्रु या मित्र भावना नही है...!
सूर्य से सम्बन्धित व्यक्ति पिता चाचा पुत्र और ब्रहमा विष्णु महेश आदि को जाना जाता है...!
आत्मा राज्य यश पित्त दायीं आंख गुलाबी रंग और तेज का कारक है।
सूर्य और चन्द्र की युति/दृष्टि फल :
सूर्य और चन्द्रमा अगर किसी भाव में एक साथ होते है...!
तो कारकत्व के अनुसार फ़ल देते है,सूर्य पिता है और चन्द्र यात्रा है...!
पुत्र को भी यात्रा हो सकती है....!
एक संतान की उन्नति बाहर होती है।
सूर्य और मंगल की युति/दृष्टि फल :
मंगल के साथ एक साथ होने पर मंगल की गर्मी और पराक्रम के कारण अभिमान की मात्रा बढ जाती है....!
पिता प्रभावी और शक्ति मान बन जाता है....!
मन्गल भाई है, इसी लिये एक भाई सदा सहयोग मे रहता है....!
मन्गल रक्त है,इस लिये ही पिता पुत्र को रक्त वाली बीमारिया होती है...!
एक दूसरे से एक सात और एक बारह में भी यही प्रभाव होता है...!
स्त्री की कुन्डली में पति प्रभावी होता है...!
लेकिन उसके ह्रदय में प्रेम अधिक होता है।
सूर्य और बुध युति/दृष्टि फल :
बुध के साथ होने पर पिता और पुत्र दोनो ही शिक्षित होते है....!
समाज में प्रतिष्ठा होती है, जातक के अन्दर वासना अधिक होती है...!
पिता के पास भूमि भी होती है, और बहिन काफ़ी प्रतिष्ठित परिवार से सम्बन्ध रखती है...!
व्यापारिक कार्यों के अन्दर पिता पुत्र दोनो ही निपुण होते है....!
पिता का सम्बन्ध किसी महिला से होता है।
सूर्य और गुरु युति/दृष्टि फल :
गुरु के साथ होने पर जीवात्मा का संयोग होता है....!
जातक का विश्वास ईश्व्वर में अधिक होता है....!
जातक परिवार के किसी पूर्वज की आत्मा होती है....!
जातक के अन्दर परोपकार की भावना होती है....!
जातक के पास आभूषण आदि की अधिकता होती है...!
पद प्रतिष्ठा के अन्दर आदर मिलता रहता है।
सूर्य और शुक्र की युति/दृष्टि फल :
शुक्र के साथ होने पर मकान और धन की अधिकता होती है...!
दोनो की युति के चलते संतान की कमी होती है....!
स्त्री की कुन्डली में यह युति होने पर स्वास्थ्य की कमी मिलती है....!
शुक्र अस्त हो तो स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पडता है।
सूर्य और शनि की युति/दृष्टि फल :
शनि के साथ होने पर जातक या पिता के पास सरकार से सम्बन्धित कार्य होते है....!
पिता के जीवन में जातक के जन्म के समय काफ़ी परेशानी होती है....!
पिता के रहने तक पुत्र आलसी होता है,और पिता के बाद खुद जातक का पुत्र आलसी हो जाता है....!
पिता पुत्र के एक साथ रहने पर उन्नति नही होती है,वैदिक ज्योतिष में इसे पितृ दोष माना जाता है...!
जातक को गायत्री के जाप के बाद सफ़लता मिलने लगती है।
सूर्य और राहु की युति/दृष्टि फल :
सूर्य के साथ राहु का होना भी पितामह के बारे में प्रतिष्ठित होने की बात मालुम होती है...!
एक पुत्र की पैदायस अनैतिक रूप से भी मानी जाती है....!
जातक के पास कानून से विरुद्ध काम करने की इच्छायें चला करती है....!
पिता की मौत दुर्घटना में होती है....!
या किसी दवाई के रियेक्सन या शराब के कारण होती है.....!
जातक के जन्म के समय पिता को चोट लगती है.....!
जातक को सन्तान भी कठिनाई से मिलती है,पत्नी के अन्दर गुप चुप रूप से सन्तान को प्राप्त करने की लालसा रहती है...!
पिता के किसी भाई को जातक के जन्म के बाद मौत जैसी स्थिति होती है।
सूर्य और केतु की युति/दृष्टि फल :
केतु और सूर्य का साथ होने पर जातक और उसका पिता धार्मिक होता है,दोनो के कामों के अन्दर कठिनाई होती है.....!
पिता के पास कुछ इस प्रकार की जमीन होती है,जहां पर खेती नही हो सकती है.....!
नाना की लम्बाई अधिक होती है,और पिता के नकारात्मक प्रभाव के कारण जातक का अधिक जीवन नाना के पास ही गुजरता है।
सूर्य चन्द्र और मंगल की युति फल :
सूर्य चन्द्र और मंगल के एक साथ होने पर पिता के पास खेती होती है.....!
और उसका काम बागवानी या कृषि से जुडा होता है.....!
पिता का निवास स्थान बदला जाता है.....!
जातक को रक्त विकार भी होता है.....!
माता को पिता के भाई के द्वारा कठिनाई भी होती है.....!
माता या सास को गुस्सा अधिक होता है.....!
एक भाई पहले किसी कार्य से बाहर गया होता है।
सूर्य चन्द्र और बुध की युति/दृष्टि फल :
सूर्य चन्द्र बुध का साथ होने पर खेती वाले कामो की ओर इशारा करता है,पिता का सम्बन्ध किसी बाहरी महिला से होता है.....!
एक पुत्र का मन देवी भक्ति में लगा रहता है,और वह अक्सर देवी यात्रा किया करता है......!
एक पुत्र की विदेश यात्रा भी होती है.....!
पिता जब भी भूमि को बेचता या खरीदता है.....!
तो उसे धोखा ही दिया जाता है।
सूर्य चन्द्र और गुरु की युति/दृष्टि फल :
सूर्य के साथ चन्द्र और गुरु के होने पर जातक का पिता यात्रा वाले कामो के अन्दर लगा रहता है.....!
और अक्सर निवास स्थान का बदलाव हुआ करता है.....!
जातक पिता का आज्ञाकारी होता है,और उसे बिना पिता की आज्ञा के किसी काम में मन नही लगता है......!
जातक का सम्मान विदेशी लोग करते है।
सूर्य चन्द्र और शुक्र की युति/दृष्टि फल :
सूर्य के साथ चन्द्र और शुक्र के होने से भी पिता का जीवन दो स्त्रियों के चक्कर में बरबाद होता रहता है.....!
एक स्त्री के द्वारा वह छला जाता है.....!
जातक की एक बहिन की शादी किसी अच्छे घर में होती है......!
पिता पुत्र के द्वारा कमाया गया धन एक बार जरूर नाश होता है.....!
किसी प्रकार से छला जाता है.......!
जातक की माता के नाम से धन होता है......!
जमीन भी होती है,मकान भी होता है......!
मकान पानी के किनारे होता है.......!
या फ़िर मकान में पानी के फ़व्वारे आदि होते है.....!
जातक के अन्दर या पिता के अन्दर मधुमेह की बीमारी होती है।
सूर्य चन्द्र और शनि युति/दृष्टि फल :
सूर्य के साथ चन्द्र और शनि होने के कारण एक पुत्र की सेवा विदेश में होती है....!
पिता का कार्य यात्रा से जुडा होता है.....!
सूर्य पिता है तो शनि कार्य और चन्द्र यात्रा से जुडा माना जाता है.....!
शनि के कारण माता का स्वास्थ खराब रहता है.....!
उसे ठंड या गठिया वाली बीमारिया होती है।
सूर्य चन्द्र और राहु युति दृष्टि फल :
सूर्य के साथ चन्द्र और राहु होने से पिता और पुत्र दोनो को ही टीवी देखने और कम्प्यूटर पर चित्रण करने का शौक होता है......!
फ़ोटोग्राफ़ी का शौक भी होता है,दादा काफ़ी विलासी रहे होते है......!
उनका जीवन शराब या लोगों की आफ़तों को समाप्त करने के अन्दर गया होता है......!
अथवा आयुर्वेद के इलाजो से उन्होने अपना समय ठीक बिताया होता है.....!
एक पुत्र का अनिष्ट माना जाता है,चन्द्र गर्भ होता है.....!
तो राहु मौत का नाम जाना जाता है......!
राहु चन्द्र मिलकर मुस्लिम महिला से भी लगाव रखते है......!
पिता का सम्बन्ध किसी विदेशी या मुस्लिम या विजातीय महिला से रहा होता है।
सूर्य चन्द्र और केतु की युति/दृष्टि फल :
सूर्य चन्द्र केतु के साथ होने पर पितामह एक वैदिक जानकार रहे होते है......!
नानी भी धार्मिक और वैदिक किताबों के पठन पाठन और प्रवचनो से जुडी होती है.....!
माता को कफ़ की परेशानी होती है.....!
जातक के पास खेती करने वाले या पानी से जुडे अथवा चांदी का काम करने वाले हथियार होते है....!
वह इन हथियारो की सहायता से इनका काम करना जानता है....!
चन्द्रमा खेती भी है और आयुर्वेद भी है एक पुत्र को आयुर्वेद या खेती का ज्ञान भी माना जाता है....!
शहरों मे इस काम को पानी के नलों को फ़िट करने वाला और मीटर की रीडिंग लेने वाले से भी जोडा जाता है....!
सरकारी पाइपलाइन या पानी की टंकी का काम भी इसी ग्रह युति मे जोडा जाता है।
सूर्य का हमारे जीव पर प्रभाव और अन्य ग्रहों से युति का फल द्वितीय भाग :
सूर्य मंगल और चन्द्र की युति फल :
सूर्य के साथ मंगल और चन्द्र के होने से पिता पराक्रमी और जिद्दी स्वभाव का माना जाता है....!
जातक या पिता के पास पानी की मशीने और खेती करने वाली मशीने भी हो सकती है....!
जातक पानी का व्यवसाय कर सकता है....!
जातक के भाई के पास यात्रा वाले काम होते है.....!
जातक या पिता का किसी न किसी प्रकार का सेना या पुलिस से लगाव होता है।
सूर्य मंगल और बुध युति फल :
सूर्य के साथ मन्गल और बुध के होने से तीन भाई का योग होता है....!
अगर तीनो ग्रह पुरुष राशि में हो तो....!
सूर्य और मन्गल मित्र है....!
इस लिये जातक के दो भाई आज्ञाकारी होते है....!
बुध मन्गल के सामने एजेन्ट बन जाता है....!
अत: इस प्रकार के कार्य भी हो सकते है....!
मंगल कठोर और बुध मुलायम होता है....!
जातक के भाई के साथ किसी प्रकार का धोखा भी हो सकता है।
सूर्य मंगल और गुरु युति फल :
सूर्य मन्गल और गुरु के साथ होने पर जातक का पिता प्रभावशाली होता है....!
जातक का समाज में स्थान उच्च का होता है.....!
जीवात्मा संयोग भी बन जाता है....!
सूर्य और गुरु मिलकर जातक को मंत्री वाले काम भी देते है....!
अगर किसी प्रकार से राज्य या राज्यपरक भाव का मालिक हो....!
जातक का भाग्योदय उम्र की चौबीसवें साल के बाद चालू हो जाता है....!
जातक के पिता को अधिकार में काफ़ी कुछ मिलता है....!
जमीन और जागीरी वाले ठाठ पूर्वजों के जमाने के होते है।
सूर्य मंगल और शुक्र की युति का फल :
सूर्य मन्गल और शुक्र से पिता के पास एक भाई और एक बहिन का संयोग होता है....!
पिता की सहायतायें एक स्त्री के लिये हुआ करती है....!
जातक का चाचा अपने बल से पिता का धन प्राप्त करता है......!
जातक की पत्नी के अन्दर अहम की भावना होती है.....!
और वह अपने को दिखाने की कोशिश करती है.....!
एक बहिन या जातक की पुत्री के पास अकूत धन की आवक होती है......!
जातक के एक भाई की उन्नति शादी के बाद होती है।
सूर्य मंगल और शनि की युति का फल :
सूर्य के साथ मंगल और शनि के होने से जातक की सन्तान को कष्ट होता है.....!
पिता के कितने ही दुश्मन होते है,और पिता से हारते भी है.....!
जातक की उन्नति उम्र की तीस साल के बाद होती है.....!
जीवन के अन्दर संघर्ष होता है....!
और जितने भी अपने सम्बन्धी होते है वे ही हर काम का विरोध करते है....!
भाई को अनिष्ट होता है.....!
स्थान परिवर्तन समस्याओं के चलते रहना होता रहता है.....!
कार्य कभी भी उंची स्थिति के नही हो पाते है.....!
कारण सूर्य दिन का राजा है और शनि रात का राजा है दोनो के मिलने से कार्य केवल सुबह या शाम के रह जाते है.....!
केवल पराक्रम से ही जीवन की गाडी चलती रहती है।
सूर्य मंगल और राहु की युति का फल :
सूर्य मन्गल के साथ राहु के होने से इन तीनो का योग पिता की कामों में किसी प्रकार की इन्डस्ट्री की बात का इशारा देता है.....!
जातक की एक भाई की दुर्घटना किसी तरह से होती है.....!
जातक का अन्तिम जीवन परेशानी में होता है....!
पुत्र से जातक को कष्ट होता है.....!
कम्प्यूटर या फ़ोटोग्राफ़ी का काम भी जातक के पास होता है।
सूर्य मंगल और केतु की युति का फल :
सूर्य मन्गल और केतु के साथ होने से जातक के परिवार में हमेशा अनबन रहती है....!
जातक को कानून का ज्ञान होता है....!
और जातक का जीवन आनन्द मय नही होता है उसका स्वभाव रूखापन लिये होता है....!
नेतागीरी वाले काम होते है....!
एक पुत्र को परेशानी ही रहती है....!
जातक के शरीर में रक्त विकार हुआ करते है।
सूर्य बुध और चन्द्र की युति का फल :
सूर्य के साथ बुध और चन्द्रमा की युति होने से पिता का जीवन बुद्धि जीवी कामो में गुजरता है....!
पिता कार्य के संचालन में माहिर होता है.....!
जातक या जातक का पिता दवाइयों वाले कामों के अन्दर माहिर होते है....!
चन्द्रमा फ़ल फ़ूल या आयुर्वेद की तरफ़ भी इशारा करता है.....!
इस लिये बुध व्यापार की तरफ़ भी इशारा करता है....!
जातक की शिक्षा में एक बार बाधा जरूर आती है लेकिन वह किसी न किसी प्रकार से अपनी बाधा को दूर कर देता है।
सूर्य बुध और मंगल की युति का फल :
सूर्य के साथ बुध और मन्गल के होने से जातक के पिता को भूमि का लाभ होता है....!
जातक की शिक्षा मे अवरोध पैदा होता है.....!
जातक के भाइयों के अन्दर आपसी मतभेद होते है....!
जो आगे चलकर शत्रुता में बदल जाते है।
सूर्य बुध और गुरु की युति का फल :
सूर्य बुध और गुरु का साथ होने से जातक जवान से ज्ञान वाली बातों का प्रवचन करता है....!
योग और उपासना का ज्ञानी होता है....!
पिता को उसके जीवन के आरम्भ मे कठिनाइयों का सामना करना पडता है.....!
लेकिन जातक के जन्म के बाद पिता का जीवन सफ़ल होना चालू हो जाता है....!
जातक का एक भाई लोकप्रिय होता है....!
पिता को समाज का काम करने मे आनन्द आता है और वह अपने को सन्यासी जैसा बना लेता है।
सूर्य बुध और शुक्र की युति का फल :
सूर्य के साथ बुध और शुक्र के होने से जातक की एक संतान बहुत ही शिक्षित होती है,उसके पास भूमि भवन और सवारी के अच्छे साधन होते है....!
पिता के जीवन में दलाली बाले काम होते है.....!
वह शेयर या भवन या भूमि की दलाली के बाद काफ़ी धन कमाता है.....!
जातक या जातक के पिता को दो स्त्री या दो पति का सुख होता है....!
जातक समाज सेवी और स्त्री प्रेमी होता है।
सूर्य बुध और शनि की युति का फल :
सूर्य बुध के साथ शनि के होने पर जातक के पिता के साथ सहयोग नही होता है....!
पिता के पास जो भी काम होते है वे सरकारी और बुद्धि से जुडे होते है....!
बुद्धि के साथ कर्म का योग होता है....!
जातक को सरकार से किसी न किसी प्रकार की सहायता मिलती है....!
राजकीय सेवा में जाने का पूरा पूरा योग होता है।
सूर्य बुध और राहु की युति का फल :
सूर्य बुध के साथ राहु के होने से जातक एक पिता और पितामह दोनो ही प्रसिद्ध रहे होते है....!
पिता के पास धन और भूमि भी होती है....!
लेकिन वह जातक के जन्म के बाद धन को दवाइयों या आकस्मिक हादसों मे अथवा शराब आदि में उडाना चालू कर देता है.....!
एयर लाइन्स वाले काम या उनसे सम्बन्धित एजेन्सी वाले काम भी मिलते है....!
यात्राओं को अरेन्ज करने वाले काम और सडकॊ की नाप जोख के काम भी मिलते है....!
जातक को पैतृक सम्पत्ति कम ही मिल पाती है।
सूर्य बुध और केतु की युति का फल :
सूर्य के साथ बुध और केतु होने से जातक के मामा का परिवार प्रभावी होता है.....!
पिता या जातक को कोर्ट केशो से और बेकार के प्रत्यारोंपो से कष्ट होता है....!
पिता के अवैद्य संबन्धों के कारण परिवार में तनाव रहता है.....!
जातक को इन बातो से परेशानी होती है।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु ज्योतिषी
ટિપ્પણીઓ નથી:
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