google() // Google's Maven repository https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 1. आध्यात्मिकता के नशा की संगत और ज्योतिष : માર્ચ 2025

amazon.in

https://www.amazon.in/HP-I7-13620H-15-6-Inch-Response-Fa1332Tx/dp/B0D2DHNKFB?pf_rd_r=BTMHJYAHM521RQHA6APN&pf_rd_p=c22a6ff6-1b2d-4729-bc0f-967ee460964a&linkCode=ll1&tag=blogger0a94-21&linkId=5fb9faae48680855ba5f1e86664d9bf9&language=en_IN&ref_=as_li_ss_tl

पहला सूर्य ग्रहण, जानें क्या भारत में दिखेगा,

पहला सूर्य ग्रहण, जानें क्या भारत में दिखेगा,

पहला सूर्य ग्रहण, जानें क्या भारत में दिखेगा,

2025: दोपहर 2.20 पर शुरु होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें क्या भारत में दिखेगा, तारीख व समय की हर डिटेल...!

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च, शनिवार को लग रहा है। जानें समय, तारीख और देखने का तरीका...!

एक बार स्पेस से जुड़ी चीजों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए खास मौका आने वाला है। 

हाल ही में होली के मौके पर 14 मार्च को साल 2025 का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण लगा था। 

और अब इसी महीने के आखिर में साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। 

जी हां, पृथ्वी और सूर्य के बीच जब चंद्रमा गुजरेगा तो दिन में धरती पर अंधेरा छा जाएगा। 

29 मार्च 2025 को लग रहे सूर्य ग्रहण में महज 5 दिन बाकी रह गए हैं। 

आपको बताते हैं इस आंशिक सूर्य ग्रहण ( Parital Solar Eclipse ) के समय व तारीख के बारे में सबकुछ…!



UCIDCI Tableta de escritura LCD de 10 pulgadas, tablero de garabatos – Pantalla colorida electrónica para niños pequeños, almohadilla de dibujo, juguetes educativos para niños de 3, 4, 5, 6, 7, 8 años

Visita la tienda de UCIDCI https://amzn.to/4iHCTGw


क्या होता है आंशिक सूर्य ग्रहण ( What is Partial Solar eclipse )

बता दें कि आंशिक सूर्य ग्रहण के दौरान जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है और धरती के कुछ हिस्सों पर उसकी छाया पड़ती है जिसके चलते सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती। 

इस स्थिति में चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता और एक सूर्य के कुछ हिस्से की रोशनी पृथ्वी पर आती है। 

इस खगोलीय स्थिति को वैज्ञानिकों ने आंशिक सूर्य ग्रहण का नाम दिया है। 

आसमान में दिखने वाले इस दुर्लभ नजारे का दुनियाभर के खगोलविदों को बेसब्री से इंतजार है और उनके लिए इस आकाशीय घटना को समझने का यह शानदार मौका होगा।

शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग, इस दौरान गलती से भी न करें ये काम, वरना मिल सकते हैं अशुभ परिणाम....!

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल शनि अमावस्या के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। 

ऐसे में इस दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।





John Deere Juego de vehículos, incluye camión volquete de juguete y juguete de tractor con cargador, juguetes para niños al aire libre, juguetes de construcción para niños y juguetes de caja de arena,

Visita la tienda de TOMY https://amzn.to/425p9hU


हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। 

इस दिन देवों के देव महादेव और शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। 

इस के साथ ही, यह दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी गई है। 

पंचांग के अनुसार, इस बार चैत्र अमावस्या 29 मार्च को है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है। 

क्योंकि इस दिन दो बड़े संयोग बन रहे हैं। 

दरअसल, इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा और इसी दिन शनिदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 

29 मार्च को शनि अमावस्या भी है और साल का पहला सूर्य ग्रहण भी, ऐसे में इस दिन आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए वरना इससे आपकी परेशानियां बढ़ सकती हैं।





CraftsofIndia®️ Juego de 2 piezas Kuber Diya para Diwali, lámpara de aceite de latón virgen hecha a mano para Deepawali Pooja, Vilakku para Puja, decoración Deepawali

Visita la tienda de Crafts of India https://amzn.to/41ZLIEv


इस दिन बिल्कुल भी न करें ये 4 काम...!

चैत्र अमावस्या के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है। 

इस दिन बेजुबान जानवरों को परेशान नहीं करना चाहिए, खासकर गाय, कुत्ते और कौवे को नुकसान पहुंचाने से बचें। 

क्योंकि ऐसा करने से शनि देव के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।

इस दिन माता - पिता, बुजुर्गों और महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। 

ऐसा करने से शनि दोष बढ़ सकता है और उनके दुष्प्रभाव का समाना करना पड़ सकता है।

चैत्र अमावस्या यानी शनिश्चरी अमावस्या के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी काटना भी अशुभ माना जाता है। 

मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में बाधाएं आ सकती हैं और बनते कार्य बिगड़ जाते हैं।

इसके अलावा, इस दिन तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। 

वहीं क्रोध, छल - कपट और गलत तरीके से धन कमाने से भी बचें, क्योंकि ऐसा करने से शनि देव नाराज हो सकते हैं।




Hashcart® Diya de latón para Pooja Kerala Diya [10 pulgadas, juego de 2, tamaño mediano] Diya lámpara para Puja Diwali Diyas - Lámpara tradicional de samai Kutthu vilakku Panchmahal Deepam - Regalos

Visita la tienda de Hashcart https://amzn.to/4l9ufT8


शनिश्चरी अमावस्या पर करें ये उपाय....!

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को दान करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। 

इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और तेल का दान करें। 

शनिश्चरी अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 

मान्यता है कि इस दिन शनि मंदिर में जाकर तेल चढ़ाना शुभ माना जाता है। 

इस के अलावा अमावस्या पर हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि के नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं। 

वहीं, सूर्य ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और ध्यान करें। 

इस से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।




Lámpara de latón Jyot Kerala Diya para el hogar Mandir Pooja Samai Navaratri Navratri Pooja Jyot Panch tradicional Diya Aarti Deepak Pooja Dia Deepak Lámparas de aceite de regalo, tamaño 9 pulgadas,

Marca: Gavya International https://amzn.to/422T1v5


वैदिक ज्योतिष अनुसार शनि देव मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैंं, जिससे कुछ राशियों के अच्छे दिन शुरू हो सकते हैं...!

वैदिक ज्योतिष अनुसार शनि देव लगभग ढाई साल बाद एक राशि से दूसरी राश में गोचर करते हैं। 

साथ ही वह एक राशि में आने में लगभग 30 साल का समय लगाते हैं। 

आपको बता दें कि शनि देव अभी अपनी मूलत्रिकोण राशि कुंभ में संचऱण कर रहे हैं और वह 29 मार्च को मीन राशि में संचरण करेंगे। 

जिससे कुछ राशियों की किस्मत चमक सकती है। 

साथ ही इन राशियों की आय़ में वृद्धि और नौकरी में प्रमोशन के योग बन रहे हैं। 

आइए जानते हैं ये लकी राशियांं कौन सी हैं…!




NOBILITY Juego de latón Pooja Thali de 12 pulgadas con plato Pital Puja Kalash Bowl Cuchara Palli Ghanti Kuber Diya Chandan Wati Dhup Dan Arti Thali para Diwali Home Office Mandir Artículos de regalo

Visita la tienda de NOBILITY https://amzn.to/41J2nxo


वृष राशि ( Taurus Zodiac )

शनि देव का मीन राशि में संचऱण वृष राशि के लोगों को सकारात्मक सिद्ध हो सकता है। 

क्योंकि शनि देव आपकी गोचर कुंडली के 11वें स्थान पर भ्रमण करेंगे। 

इस लिए इस दौरान आपकी आय में वृद्धि के योग बनेंगे। 

साथ ही इस दौरान आपकी इनकम के नए-नए सोर्स बन सकते हैं। 

वहीं आप धन की बचत कर पाने में सफल होंगे और बिजनस में भी आपको कई गुना लाभ हो सकता है। 

साथ ही  आपके जीवन में प्रगति के नए रास्‍ते खुलेंगे और आपकी योजनाएं सफल होंगी। 

साथ ही नौकरी पेशा वाले हैं तो आपको फाइनेंशियल ग्रोथ मिलने के पूरे आसार हैं। 

निवेश से आपको लाभ हो सकता है। 

साथ ही शेयर बाजार, सट्टा और लॉटरी के लाभ के योग हैं।




TORRAS Funda magnética delgada para iPhone 16 Pro Max, funda ultradelgada para teléfono 16 ProMax compatible con MagSafe, ligera, antiarañazos, mate, PC duro Bayer de 6.9 pulgadas, color negro

Visita la tienda de TORRAS https://amzn.to/4hQI4Tf


मिथुन राशि ( Mithun Zodiac )

शनि देव का गोचर मिथुन राशि के लोगों को अनुकूल सिद्ध हो सकता है। 

क्योंकि शनि देव आपकी गोचर कुंडली से करियर और कारोबार स्थान पर विचऱण करेंगे। 

इस लिए इस दौरान नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को जॉब के नए अवसर मिल सकते हैं। 

साथ ही  करियर में उन्नति मिलेगी। 

नौकरी और व्यापार में भी तरक्की के मौके मिलेंगे। 

वहीं व्यापारियों को अच्छा धनलाभ हो सकता है।  

करियर को लेकर चल रही टेंशन खत्म होगी। 

युवाओं को किसी प्रभावशाली व्यक्ति के संपर्क में आने से जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल होगा।




Allextreme EXPBKG4 Stainless Steel Knee Guard Breathable Adjustable Knee & Elbow Pads Protection Motorcycle Racing Riding Unisex Armor Protective Gear (Black)

Visit the Allextreme Store https://amzn.to/3DHfl5F


धनु राशि ( Dhanu Zodiac )

आप लोगों के लिए शनि देव का राशि परिवर्तन लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। 

क्योंकि शनि देव आपकी राशि से चतुर्थ भाव पर संचऱण करने जा रहे हैं। 

इस दौरान आपकी सुख - सुविधाओं में वृद्धि होगी। 

साथ ही आपको वाहन और प्रापर्टी का सुख प्राप्त हो सकता है। 

वहीं आपको समाज में मान - सम्मान और प्रतिष्ठा मिलेगी। 

व्यापारियों को नए व्यापारिक सौदों से लाभ होगा। 

साथ ही शनि देव आपकी राशि से धन और तीसरे भाव के स्वामी हैं। 

इस लिए इस समय आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। 

साथ ही आपको समय - समय पर आकस्मिक धनलाभ हो सकता है। 

वहीं इस समय आपके माता और ससुरालीजनों के संबंध अच्छे रहेंगे।




XTRIM Unisex Winter Gloves for Bike Riding with Touchscreen Finger, Stretchable Gloves, Pairing Buckle, Breathable Mesh Fabric, Biking Gloves for Men, Woolen Gloves, Thermal Gloves (Black, 1 Pair)

Visit the XTRIM Store https://amzn.to/4iO3j9U


कब होता है सूर्य ग्रहण ?

गौर करने वाली बात है कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, सूर्य ग्रहण की घटना केवल अमावस्या के दिन ही होती है। 

इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं। 

साल 2025 में दो सूर्य ग्रहण लग रहे हैं। 

साल का पहला सूर्य ग्रहण नजदीक है और 29 मार्च को लगेगा वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा।

सूर्य ग्रहण किस समय लग रहा है ?

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के अनुसार, आंशिक सूर्य ग्रहण अमेरिकी समय के मुताबिक सुबह 4.50 बजे शुरु होगी और 6 बजकर 47 मिनट पर यह पीक यानी अपने चरम पर होगा। 

और सुबह 8.43 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। 

भारतीय समयानुसार यह ग्रहण दिन में दोपहर 2 बजकर 20 बजे शुरु होगा और शाम 4.17 बजे अपने चरम पर होगा।

नासा के मुताबिक, कुछ जगहों पर ग्रहण के दौरान सूर्य का 93 प्रतिशत तक हिस्सा ढकने की उम्मीद है यानी इन जगहों पर दिन में अंधेरा छा जाएगा।

क्या भारत में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण ?

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। 

यह आंशिक सूर्य ग्रहण एशिया, अफ्रीका, यूरोप अटलांटिक सूर्यग्रहण को एशिया, अफ्रीका, यूरोप, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में नजर आएगा। 

बता दें कि भारत में दिखाई ना देने के चलते, हिंदू पंचांग के मुताबिक, माने जाने वाला सूतक काल भी देश में मान्य नहीं होगा।

!!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85 website :https://sarswatijyotish.com/ 
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

होली 2025 पर छाया चंद्र ग्रहण का साया :

 || 🔴  होलाष्टक  🔴 || 


होली 2025 पर छाया चंद्र ग्रहण का साया :


होली पर छाएगा ग्रहण का साया, राशि अनुसार इन उपायों से करें नकारात्मकता को दूर!


07 मार्च, शुक्रवार से लेकर होली दहन तक होलाष्टक के दिन रहेंगे।

होली 2025 का पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और वैदिक ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व रखता है जो कि प्रतिपदा तिथि के दिन मनाया जाता है। 

बसंत माह के शुरू होने के साथ ही सबको होली का बेसब्री से इंतजार रहता है। 

होली का त्योहार दो दिन मनाया जाता है और इसके पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। 

हिंदू धर्म में होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। 

भारत समेत दुनियाभर में इसकी अलग ही रौनक और उत्साह देखने को मिलता है। 

आपसी प्रेम और ख़ुशियों का पर्व है होली इसलिए इस अवसर पर लोग एक - दूसरे को रंग लगाकर अपने पुराने गिले - शिकवे भूला देते हैं। 

होली पर घरों में कई तरह के पकवान, ठंडाई और गुझिया आदि बनाई जाती हैं। 

लोग एक - दूसरे को रंग - गुलाल लगाकर होली का जश्न मनाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।



Vintage Gulley Brass Shrinath ji Idol

Visit the Vintage Gulley Store https://amzn.to/41G5FBy


होलाष्टक का अर्थ :


वसंतोत्सव के रूप में होली को प्रति वर्ष प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है। 

सामान्य शब्दों में कहें तो, यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। 

हालांकि, इस साल होली 2025 पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा। 

एस्ट्रोसेज पंडारामा प्रभु राज्यगुरु के होली 2025 स्पेशल इस ब्लॉग में हम होली कब है और क्या है !

इसका शुभ मुहूर्त?  

इसका अलावा, क्या चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं ? 

होली पर राशि अनुसार किये जाने वाले उपायों के बारे में आपको विस्तार से बताएंगे। 

तो आइए बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं होली 2025 के बारे में सब कुछ।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि, होलाष्टक के इन आठ दिनों में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। 

यही वजह है कि इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। 

इन दिनों में ग्रहों का भी होता है, उग्र प्रभाव : 


इसके अलावा ज्योतिष मान्यता के अनुसार कहा जाता है की होलाष्टक के दिनों में अष्टमी तिथि के दिन चंद्रमा, नवमी तिथि के दिन सूर्य, दशमी तिथि के दिन शनि, एकादशी तिथि के दिन शुक्र, द्वादशी तिथि के दिन गुरु, त्रयोदशी तिथि के दिन बुध, चतुर्दशी तिथि के दिन मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र अवस्था में रहते हैं। 

ऐसे में इस दौरान अगर कोई भी मांगलिक कार्य किया जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां, बाधाएँ, रुकावटें और समस्या आने की आशंका बढ़ जाती है। 

ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार ग्रहों के स्वभाव में उग्रता आने के चलते इस दौरान अगर कोई व्यक्ति शुभ कार्य करता भी है या ऐसा कोई फैसला लेता भी है ! 
तो वह शांत मन से नहीं ले पाता है और यही वजह है कि उनके द्वारा लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं या उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

होली 2025  के तिथि और मूहर्त :


संदेश और जन्मभूमि पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का त्योहार  मनाया जाता है। 

इसके पहले दिन को धुलण्डी या होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। 

आइ ए नज़र डालते हैं अब वर्ष 2025 में होली की तिथि और इसके शुभ मुहूर्त पर। 

होली 2025 तिथि: 14 मार्च 2025, शुक्रवार पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से, पूर्णिमा तिथि का समाप्त: 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक।



RDK Pure Quality Red Sandalwood Stick Natural Chandan Sticks Lal Chandan Lakdi for Religious Usage and Healing Purpose 20-30 Grams (Pack of 2)

Visit the RDK Store https://amzn.to/41Kjr51


ज्योतिषीय सिद्धांत : 


ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि होलाष्टक की इस समयावधि में उन जातकों को विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है! 

जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता हैं !

चंद्रमा किसी अशुभ योग में व अशुभ प्रभाव में हो या फिर चंद्रमा छठे, आठवें, बारहवें भाव में होता हैं। 

होली 2025 पर छाया चंद्र ग्रहण का साया :


पिछले साल की तरह यानी कि साल 2024 की तरह ही इस वर्ष भी होली पर चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। 

होली पर चंद्र ग्रहण लगने से लोगों के मन में इस पर्व को मनाने को लेकर संदेह पैदा हो रहा है, तो बता दें कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि अर्थात 14 मार्च, 2025 को चंद्र ग्रहण लगेगा। 

इस ग्रहण का आरंभ सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा और इसका अंत दोपहर 02 बजकर 18 मिनट पर होगा। 

इस ग्रहण को दुनिया के विभिन्न देशों जैसे कि अधिकांश ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अधिकांश अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक आर्कटिक महासागर, पूर्वी एशिया आदि में देखा जा सकेगा। 

हालांकि, साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।

नोट: चंद्र ग्रहण 2025 भारत में दृश्यमान नहीं होगा इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। 

ऐसे में, होली का पर्व देश में धूमधाम से मनाया जा सकता है। 

अब हम आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं होली से संबंधित परम्पराओं के बारे में।



Achleshwar Pure/Original/Natural Kali/Black haldi Turmeric for Pooja ( Standard )

Visit the Achleshwar Store  https://amzn.to/3Fhe8SE


होली और इसका इतिहास :


समय के साथ होली को मनाने के तरीके में भी बदलाव आया है और हर दौर के साथ इसका जश्न मनाने का रूप भी बदला है। 

लेकिन, सबसे प्राचीन त्योहार होने के नाते होली को भिन्न - भिन्न नामों से जाना जाता है और इसके साथ कई परंपराएं जुड़ीं हैं। 

आर्यों की होलका :

प्राचीन समय में होली को होलका कहा जाता था और इस अवसर पर आर्यों द्वारा नवात्रैष्टि यज्ञ किया जाता था। 

होली के दिन होलका नाम अन्न से हवन करने के पश्चात उसका प्रसाद लेने की परंपरा थी। 

होलका खेत में पड़ा हुआ आधा कच्चा और आधा पका अन्न होता है इस लिए इस त्योहार को होलिका उत्सव के नाम से भी जाना गया। 

साथ ही, उस समय नई फसल का कुछ हिस्सा देवी - देवताओं को अर्पित किया जाता है। 

सिर्फ इतना ही नहीं, सिंधु घाटी सभ्यता में भी होली और दिवाली को मनाया जाता था।

होलिका दहन :


वैदिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, होलिका दहन के दिन असुर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रहलाद का अहित करने के भाव से उसे गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई थी और स्वयं जलकर भस्म हो गई थी। 

इसी के प्रतीक के रूप में होलिका दहन किया जाता है जो कि होली का प्रथम दिन होता है।

महादेव ने किया था कामदेव को भस्म :


होली के पर्व से अनेक कथाएं जुड़ी हैं और इसी में से एक है कामदेव की कथा। 

कहते हैं कि होली के दिन भगवान शिव ने कामदेव को क्रोधवश भस्म कर दिया था और उसके बाद उन्हें पुनर्जीवित किया था। 

एक अन्य मान्यता है कि होली के अवसर पर राजा पृथु ने अपने राज्य के बच्चों लो सुरक्षा के लिए राक्षसी ढुंढी का लकड़ी में आग जलाकर उसका वध किया था। 

इन दोनों वजहों से ही होली को ‘वसंत महोत्सव’ या ‘काम महोत्सव’ के नाम से जाना जाता है।

होलाष्टक व धार्मिक मान्यताएं : 


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के 8 दिन वह दिन होते हैं जब हिरनकश्य ने भक्त प्रहलाद को 8 दिनों तक कठोर यातनाएं दी थी। 

इस लिए इन दिनों में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते।

फाग उत्सव :


कहते हैं कि त्रेतायुग के आरंभ में भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था और उस दिन से ही धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है। 

होलिका दहन के बाद ‘ रंग उत्सव ’ मनाने की परंपरा द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शुरू की थी और उस समय से ही फागुन माह में मनाए जाने के कारण होली को “ फगवाह ” के नाम से भी पुकारा जाने लगा। 

मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने राधा रानी पर रंग डाला था और तब से ही रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। 

होली के पर्व में रंग को जोड़ने का श्रेय श्रीकृष्ण को ही जाता है।

प्राचीन चित्रों में होली का वर्णन :


यदि हम प्राचीन काल में निर्मित भारत के मंदिरों की दीवारों को देखे थे।

तो होली उत्सव को वर्णित करते हुए हमें अनेक चित्र या विभिन्न मूर्तियां मिल जाएंगी। 

इसी क्रम में, 16 वीं सदी में विजयनगर की राजधानी हंपी में बनाया गया एक मंदिर, अहमदनगर चित्रों और मेवाड़ के चित्रों में भी होली उत्सव का चित्रण किया गया है।

होली 2025 से जुड़ी पौराणिक कथा :


धर्म ग्रंथों में होली से संबंधित अनेक कथाओं का वर्णन मिलता है जिनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे। 

द्वापर युग में राधा - कृष्ण की होली :


होली के त्योहार को हमेशा से भगवान कृष्ण और राधा रानी से जोड़ा जाता है जो कि इनके अटूट प्रेम को दर्शाता है। 

वैदिक शास्त्रों के अनुसार, द्वापर युग में श्रीकृष्ण और राधा जी की बरसाने में खेली गई होली को ही होली उत्सव की शुरुआत माना जाता है। 

इस परंपरा का पालन करते हुए आज भी बरसाने और नंदगाव में लट्ठमार होली खेली जाती है जो कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 

भक्त प्रहलाद की भक्ति की कथा :


धर्म ग्रंथों में होली की कथा का संबंध भक्त प्रह्लाद से भी माना गया है और इस कथा के अनुसार, भक्त प्रहलाद का जन्म राक्षस कुल में हुआ था।

लेकिन उनका मन बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्ति में लगता था और समय के साथ वह उनके बड़े भक्त बन गए थे। 

प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप राक्षस कुल के राजा था और अत्यंत शक्तिशाली थे। 

हिरण्यकश्यप को अपने बेटे की विष्णु भक्ति बिल्कुल पसंद नहीं थी और उनकी भक्ति देखकर बहुत ही क्रोधित होते थे। 

इस वजह से हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए। 

प्रहलाद की बुआ और हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को ऐसा वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में भस्म नहीं हो सकती। 

हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रहलाद को मारने की मंशा से अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई ताकि प्रहलाद का वध किया जा सके। 

लेकिन, भगवान विष्णु के आशीर्वाद से होलिका उस अग्नि में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया, उस दिन से होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

शिव - गौरी की कथा :


होली के संबंध में एक कथा का वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है और इस कथा के अनुसार, पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती भगवान शंकर से विवाह के लिए कठोर तपस्या में लीन थी। 

इंद्र देव चाहते थे कि देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हो जाए क्योंकि ताड़कासुर नमक राक्षस का वध केवल शिव - पार्वती का पुत्र ही कर सकता था इस लिए इंद्रदेव और सभी देवों - देवताओं ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का काम सौंपा था। 

महादेव को तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव ने भगवान शिव पर अपने ‘ पुष्प ’ वाण से प्रहार किया था।

वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार :

 
फाल्गुन शुक्ल पक्ष के दौरान मौसम परिवर्तन हो जाता है और जिससे बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। 

इस लिए इस समय अधिक सावधानी रखना बताया गया है।

होली से जुड़ी ये परंपराएं कर देंगी आपको हैरान :


शादी की रजामंदी : 

मध्यप्रदेश में एक समुदाय में लड़के अपनी पसंद की लड़की से शादी की मंजूरी लेने के लिए मांदल नामक वाद्य यंत्र बजाते हैं और नाचते हुए लड़की को गुलाल लगा देते हैं। 

लड़की की रजामंदी होने पर वह भी लड़की को गुलाल लगा देती है।

पत्थर मार होली : 

राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर में आदिवासी समुदाय के पत्थर फेंक कर होली खेलने की परंपरा है। 

यह समुदाय एक - दूसरे से पत्थर मार होली खेलते हैं। 

इस दौरान किसी को चोट लगना शुभ माना जाता है।

अंगारों से होली : 

जहां रंगों और फूलों से होली खेली जाती है, तो वहीं मध्यप्रदेश के मालवा में होली पर जलते हुए अंगारे एक - दूसरे पर फेंके जाते हैं। 

मान्यता है कि अंगारों से होली खेलने से होलिका राक्षसी का नाश हो जाता है। 

होली पर जरूर बरतें ये सावधानियां !


त्वचा की करें देखभाल : 

होली पर रंगों की होली खेलने से पहले अपनी त्वचा पर तेल, घी, मलाई या कोई तैलीय क्रीम अवश्य लगाएं ताकि त्वचा पर बुरा असर न पड़े।

बालों की सुरक्षा : 

रंग से बालों को सुरक्षित रखने के लिए अपने बालों पर भी अच्छे से तेल लगा लें क्योंकि रंग आपके बालों को रूखा और कमजोर बना सकते हैं।

आँखों को रखें ध्यान : 

होली पर रंग खेलते समय अगर आंखों में रंग चला जाए, तो आँखों को तुरंत पानी से धोएं। 
ज्यादा समस्या होने पर बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं।

हर्बल रंग का करें प्रयोग : 

होली पर केमिकल युक्त रंगों के बजाय हर्बल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें जिससे आप बिना किसी परेशानी के होली का आनंद ले सकें।

होलाष्टक के दिनों में क्या करना चाहिए : 


होली 2025 पर राशि अनुसार करें ये उपाय, धन - समृद्धि में होगी वृद्धि !

जिस तरह से भक्त प्रहलाद ने भगवान विष्णु की उपासना - जप - स्तुति इत्यादि करते हुए भगवान श्री विष्णु की भक्ति व आशीर्वाद के अधिकारी बने थे और भगवान ने प्रहलाद के सभी कष्टों का निवारण किया था। 

इसी तरह होलाष्टक के इन दिनों में सभी उपासकों को भगवान की उपासना - स्तुति - नाम जप - मंत्र जप - कथा श्रवण इत्यादि करना चाहिए।।

मकर राशि :

मकर राशि के जातक होली के अवसर पर स्नान करने के पश्चात पीपल के पेड़ पर तिकोना सफेद रंग का कपड़े से बना झंडा लगाएं। 

कुंभ राशि :

कुंभ राशि वालों के लिए होली के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना शुभ रहेगा और इसके बाद, भगवान से प्रार्थना करें।

मीन राशि :

मीन राशि के जातकों को होली 2025 पर घी और इत्र का पवित्र स्थानों पर दान करना चाहिए। 

साथ ही, गाय की सेवा करें क्योंकि ऐसा करने से आपके सौभाग्य में वृद्धि होगी।
          ज्योतिषी पंडारामा प्रभु राज्यगुरु 🕉 ऑन लाइन / ऑफ लाइन ज्योतिषी
🕉  🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉  🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉  🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉  🕉 🕉 🕉 🕉 

सोम प्रदोष व्रत , मासिक कालाष्टमी नियम एवं विधि :

सोम प्रदोष व्रत , मासिक कालाष्टमी नियम एवं विधि : सोम प्रदोष व्रत  हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है।  यह व्रत भगवान शिव को स...