google() // Google's Maven repository https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 1. आध्यात्मिकता के नशा की संगत और ज्योतिष : भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र विद्या में अश्विनी नक्षत्र https://sarswatijyotish.com

amazon.in

https://www.amazon.in/HP-I7-13620H-15-6-Inch-Response-Fa1332Tx/dp/B0D2DHNKFB?pf_rd_r=BTMHJYAHM521RQHA6APN&pf_rd_p=c22a6ff6-1b2d-4729-bc0f-967ee460964a&linkCode=ll1&tag=blogger0a94-21&linkId=5fb9faae48680855ba5f1e86664d9bf9&language=en_IN&ref_=as_li_ss_tl
લેબલ भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र विद्या में अश्विनी नक्षत्र https://sarswatijyotish.com સાથે પોસ્ટ્સ બતાવી રહ્યું છે. બધી પોસ્ટ્સ બતાવો
લેબલ भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र विद्या में अश्विनी नक्षत्र https://sarswatijyotish.com સાથે પોસ્ટ્સ બતાવી રહ્યું છે. બધી પોસ્ટ્સ બતાવો

भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र विद्या में अश्विनी नक्षत्र

भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र विद्या मे अश्विनी नक्षत्र :
भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र विद्या मे अश्विनी नक्षत्र :

अश्विनी नक्षत्र से जुड़ी हुई कुछ पौराणिक कटहको के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा ने स्वयं को बहुत एकाकी पाया। 

अपने इसी एकाकीपन को दूर करने के लिए उन्होंने देवों की रचना की। 

ब्रह्मा द्वारा जिस सर्वप्रथम देव की रचना की गयी, वही अश्विनी है, जिसके दो हाथ हैं।

एक अन्य कथा सूर्य को अश्विनी का पिता मानती है सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा था। 

सूर्य की किरणों का ताप न सह सकने के कारण वह भाग कर आर्कटिक प्रदेश में जाकर एक मादा - अश्व के रूप में विचरने लगी। 








Acer [SmartChoice Aspire 3 Laptop Intel Core Celeron N4500 Processor Laptop (8 GB LPDDR4X SDRAM/512 GB SSD/Win11 Home/38 WHR/HD Webcam) A325-45 with 39.63 cm (15.6") HD Display, Pure Silver, 1.5 KG

https://amzn.to/41Ugv6m



सूर्य ने भी एक अश्व का रूप धर कर संज्ञा का पीछा किया संज्ञा उसे आर्कटिक प्रदेश में मिली। 

यहीं दोनों के संयोग से अश्विनी कुमारों का जन्म हुआ। 

यही अश्विनी कुमार बाद में देवताओं के वैद्य बने।

यह कथा इस एक ज्योतिषीय धारणा को भी पुष्ट करती है कि सृष्टि के प्रारंभ में अपने अक्ष पर घूमती पृथ्वी पर सूर्य किरणें ध्रुवों तक पहुँचा करती। 

उस समय वसंत संपात अश्विनी नक्षत्र में था। 

उसी समय पृथ्वी पर जीवन का भी प्रारंभ हुआ।

राशियों में अश्विनी नक्षत्र की स्थिति 0.00 अंशों से 13.20 अंशों तक मानी गयी है।

अश्विनी के भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पर्यायवाची नाम हैं, तुरंग, दस् एवं हृय । 

यूनानी अथवा ग्रीक उसे कैस्टरपोलक्स' कहते हैं, जबकि अरबी में 'अश शरातन'। 

चीनी इस नक्षत्र को 'लियू कहते हैं। 

अश्विनी नक्षत्र में तारों की संख्या में मतभेद है। 

यूनानी, अरबी उसमें दो तारों की स्थिति मानते हैं, जबकि वैदिक भारतीय ज्योतिष के अनुसार तीन तारों को मिलाकर इस नक्षत्र की रचना की गयी है।

अश्विनी की आकृति अश्व अथवा घोड़े के समान कल्पित की गयी, इसी लिए इस नक्षत्र को यह नाम दिया गया। 

यो बाद में इनका संबंध देवगण के वैद्य द्वय अश्विनी कुमारों से भी जोड़ दिया गया। 

अश्विनी नक्षत्र से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है, उसकी आगे चर्चा सर्वप्रथम अश्विनी नक्षत्र का ज्योतिषीय परिचयः

अश्विनी नक्षत्र के देवता हैं...!

अश्विनी कुमार, जबकि स्वामी केतु माना गया है। 

( केवल पिंशोतरी दशा में ) गण देव, योनिः अश्व एवं नाडी आदि है।

नक्षत्र के चरणाक्षर हैं- 

चू, चे, चो, ला यह नक्षत्र प्रथम राशि मेष का प्रथम नक्षत्र है।

( मेष राशि में अन्य नक्षत्र हैं - भरणी के चरण तथा कृतिका का एक चरण ) यह गंडमूल नक्षत्र कहलाता है।

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक

अश्विनी नक्षत्र को सम्पूर्ण मेष राशि का प्रतिनिधित्व करने वाला नक्षत्र माना गया है।

 मेष राशि का स्वामित्व मंगल को दिया गया है।

 'जातक पारिजात' में कहा गया है।

अश्विन्यामति बुद्धिवित विनय प्रज्ञा यशस्वी सुखी।

अर्थात् अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने का फल है अति बुद्धिमान, धनी, विनयान्वित, अति प्रज्ञा वाला यशस्वी और सुखी। 

अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का व्यक्तित्व सुंदर, माथा चौड़ा, नासिका कुछ बड़ी तथा नेत्र बड़े एवं चमकीलें होते हैं।

यद्यपि ऐसे जातक प्रत्यक्ष में बेहद शांत और संयत दिखायी देते हैं तथापि अपने निर्णय से कभी वे टस से मस नहीं होते। 

इसका कारण यह है कि वे कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं करते। 

वे उसके हर अच्छे-बुरे पहलू पर विचार करने के बाद ही निर्णय करते हैं। 

इसी लिए एक बार निर्णय करने पर वे उससे पीछे नहीं हटते। 

अपने निर्णयों में वे किसी से प्रभावित भी नहीं होते। 

फलतः उन्हें हठ भी मान लिया जाता है। 

ऐसे जातकों के बारे में कहा गया है कि यमराज भी उन्हें अपने निर्णय से नहीं डिगा सकते। 

लेकिन वे व्यवहार कुशल भी होते हैं तथा अपना इच्छित कार्य इस खूबी से करते हैं कि न तो किसी को पता चलता है, न महसूस होता है। 

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक यारों के यार अर्थात् श्रेष्ठ मित्र सिद्ध होते हैं। 

उनकी मानसिकता समझने में समर्थ लोगों के लिए वे सर्वोत्तम मित्र ही सिद्ध होते हैं। 

इस नक्षत्र में जन्मे जातक जिन्हें चाहते हैं, उनके लिए वे सर्वस्व होम देने के लिए भी तत्पर रहते हैं। 

यही नहीं, वे किसी को पीड़ित देखकर उसे सांत्वना बंधाने में भी आगे होते हैं।

ऐसे जातकों के चरित्र की एक विशेषता यह होती है कि यद्यपि वे घोर से घोर संकट के समय भी अपार धैर्य का परिचय देते हैं....! 

तथापि यदि किसी कारणवश उन्हें क्रोध आ जाए तो फिर उन्हें संभालना मुश्किल होता है।

इसी तरह एक ओर वे अतिशय बुद्धिमान होते हैं तो दूसरी ओर कभी - कभी 'तिल' का भी 'ताड़' बना देते हैं......! 

अर्थात् छोटी - छोटी बातों को तूल देने लगते हैं। 

फलतः उनका मन भी अशांत हो उठता है। 

वे ईश्वर पर आस्था रखते हैं लेकिन धार्मिक पाखंड को रंचमात्र भी नहीं पसंद करते। 

परंपराप्रिय होते हुए भी उन्हें आधुनिकता से कोई बैर नहीं होता।

वे स्वच्छताप्रिय भी होते हैं तथा अपने आसपास हर वस्तु को करीने से रखना उनकी आदत होती है।

शिक्षा एवं आय: 

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातकों को हरफन मौला कहा जा सकता है अर्थात् सभी बातों में उनकी कुछ न कुछ पैठ होती हैं। 

शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें पर्याप्त सफलता मिलती है। 

वे चिकित्सा, सुरक्षा एवं इंजीनियरिंग क्षेत्रों में जा सकते हैं। 

साहित्य एवं संगीत के प्रति उन्हें खासा गाव होता है। 

उनकी आय के साधन भी पर्याप्त होते हैं पर प्रदर्शन - प्रियता पर व्यय के कारण वे अभाव भी अनुभव करते हैं। 

कहा गया है कि अश्विनी नक्षत्र में जातकों को तीस वर्ष की अवस्था तक पर्याप्त संघर्ष करना पड़ता है। 

कभी - कभी उनके छोटे - छोटे काम भी रुक जाते हैं। 

ऐसे जातक अपने परिवार को बेहद प्यार करते हैं। 

लेकिन कहा गया है कि ऐसे जातकों को पिता से न पर्याप्त प्यार मिलता है, न कोई सहायता। 

हाँ, मातृपक्ष के लोग उसकी सहायता के लिए तत्पर होते हैं।

उन्हें परिवार से बाहर के लोगों से भी पर्याप्त सहायता मिलती है। 

ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन प्रायः सुखी होता है। 

आम तौर पर सताइस से तीस वर्ष के मध्य उनके विवाह का योग बनता है। 

इसी तरह पुत्रियों की अपेक्षा पुत्र अधिक होने का भी योग बताया गया है। 

अश्विनी नक्षत्र के विभिन्न चरणों के स्वामी इस प्रकार हैं-

प्रथम : मंगल,
द्वितीय : शुक्र,
तृतीय : बुध और चतुर्थ चंद्रमा.

क्रमशः... 

आगे के लेख मे अश्विनी नक्षत्र की जातिकाओ के विषय मे विस्तार से वर्णन किया जाएगा।

कुंडली मे कमजोर बुध से उत्पन्न परेशानियां एवं निवारण :

बुध आपकी जुबान, बर्ताव, आपके दिमाग और आपकी खूबसूरती का कारक ग्रह है....! 

कुंडली में बुध की स्थति तय करती है कि आप कैसा बोलते हैं, कैसा व्यवहार करते हैं...! 

आपका व्यक्तित्व और बुद्धि कैसी है.

बुध का महत्व और विशेषताएं :

बुध को ग्रहों में सबसे सुकुमार और सुन्दर ग्रह माना जाता है। 

ज्योतिष में बुध को युवराज ग्रह भी कहते हैं। 

कन्या और मिथुन राशी का स्वामी बुध है और इसका तत्व पृथ्वी है। 

बुद्धि, एकाग्रता, वाणी, त्वचा, सौंदर्य और सुगंध का कारक होता बुध है। 

कान, नाक, गले और संचार से भी बुध का संबंध है। 

बुध बुद्धि तेज करता है। 

गणितीय और आर्थिक मामलों में कामयाबी दिलाता है।

बुध से बुद्धि, वाणी और एकाग्रता की समस्या :

आपको लगता है कि आपकी सोचने और समझने की शक्ति कमजोर है....! 

कोई भी फैसला लेने में आपको वक्त लगता है और आपका ध्यान भी बार - बार भटकता है तो हो सकता है कि आपका बुध कमजोर हो।

बुध कमजोर हो तो इंसान अपनी बुद्धि का सही प्रयोग नहीं कर पाता।

ऐसे इंसान को कोई भी चीज देर से समझ आती है और वह अक्सर दुविधा में ही रहता है।

बुध कमजोर हो तो इंसान ठीक से बोल नहीं पाता, कभी कभी हकलाहट भी होती है।

बुध से बुद्धि, वाणी और एकाग्रता की समस्याओं के उपाय :

रोज सुबह तुलसी के पत्तों का सेवन करें। 

इस के बाद 108 बार 'ॐ ऐं सरस्वतयै नमः' का जाप करें।

हर बुधवार को गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं और इस दूर्वा को अपने पास रखें।

बुध के कारण त्वचा की समस्या :

कमजोर बुध कभी - कभी त्वचा से जुड़ी समस्याएं भी देता है....!

कमजोर बुद्ध से एलर्जी, दाने और खुजली की समस्या होती है। 

सूर्य का प्रभाव हो तो त्वचा पर दाग - धब्बे पड़ जाते हैं। 

मंगल का भी प्रभाव हो तो त्वचा झुलस सी जाती है। 

राहु का योग हो तो विचित्र तरह की त्वचा की समस्या होती है।

बुध के कारण त्वचा की समस्या के उपाय :

रोज सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं. ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों और सलाद का सेवन करें।

प्रभावित जगह पर नारियल का तेल लगाएं।

अगर त्वचा की समस्या ज्यादा हो तो एक ओनेक्स पहनें।

बुध से कान, नाक और गले की समस्या :

बुध बहुत कमजोर हो तो सुनने और बोलने में दिक्कत होती है। 

कभी - कभी गला खराब हो जाता है और लगातार खराब ही रहता है।

सर्दी - जुकाम की समस्या हो सकती है....! 

किसी खास तरह की गंध से एलर्जी होती है।

बुध से कान, नाक और गले की समस्या के उपाय :

रोज सुबह गायत्री मंत्र का जाप करें या मन में दोहराएं।

चांदी के चौकोर टुकड़े पर "ऐं" लिखवाकर गले में पहनें।

ज्यादा से ज्यादा हरे कपड़े पहनें।

रोज सुबह स्नान के बाद पीला चन्दन माथे, कंठ और सीने पर लगाएं।

कमजोर बुध से गणित से जुड़े विषयों की समस्या :

कई बार पढ़ाई - लिखाई में कड़ी मेहनत करने के बावजूद कुछ लोग गणित और इससे जुड़े विषयों में कमजोर ही रह जाते हैं....! 

ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इसका कारण कमजोर बुध हो सकता है।

बुध कमजोर हो तो गणित या गणित से जुड़े विषयों में समस्या होती है। 

गणित से मिलते जुलते विषय जैसे - अकाउंट्स, इकोनॉमिक्स या सांख्यिकी में भी दिक्कत होती है।

इंसान को बार - बार इन विषयों में नाकामी का सामना करना पड़ता है।

कमजोर बुध के चलते गणित से जुड़ी समस्याओं के उपाय :

अपनी इच्छा से ही गणित से जुड़े विषय चुनें, जबरदस्ती नहीं।

रोज सुबह और शाम "ॐ बुं बुधाय नमः" मंत्र का जाप करें। 

अपने पढ़ने की जगह पर कोई हरे रंग की देव प्रतिमा लगाएं। 

एवं खाने में थोड़ी सी हरी मिर्च का प्रयोग जरूर करें।


जानिए मंगल कांटा क्या होता है और इसके चमत्कारी लाभ ?

मंगल कांटा एक शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय है जो मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करता है...!

मंगल कांटे के लाभ...! 

1. मांगलिक दोष का प्रभाव कम करना: शादी में समस्याओं का सामना कर रहे लोगों के लिए फायदेमंद। 💕

2. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम करना: शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करता है। 🕉

3. दुर्घटनाओं से बचाव: बार-बार दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले लोगों के लिए फायदेमंद। 🚨

4. व्यापार में सुधार: व्यापार में सुधार और धन की समस्याओं का समाधान। 📈

5. दाम्पत्य जीवन में सुख - शांति: दाम्पत्य जीवन में अनबन और मनमुटाव से मुक्ति। 👫

मंगल कांटा किसे धारण करना चाहिए ? 🤔

1. मांगलिक लोग

2. व्यापार में समस्याएं

3. धन की समस्या

4. दुर्घटनाओं का शिकार

5. कोर्ट - कचहरी के मामलों से बचना चाहते हैं

6. दाम्पत्य जीवन में अनबन

7. प्रेम संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं

8. काला जादू और बुरी नजर से बचाव

 🔗मंगल कांटा धारण करने का तरीका

1. मंगलवार के दिन धारण करें: मंगल कांटा धारण करने के लिए मंगलवार का दिन सबसे उपयुक्त है। 🕉

2. पूजा और धारण: मंगल कांटा धारण करने से पहले पूजा कर धारण करे। 🙏

3. धारण करने के बाद नियमित पूजा: मंगल कांटा धारण करने के बाद नियमित पूजा और मंत्र जाप करना लाभदायक होता है। 🔴

4.मंगल कांटा आमतौर पर गले में पहना जाता है। 

ध्यान रखें कि इसका प्रभाव व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। ☄

👉🏻अधिक जानकारी एवं मार्गदर्शन के लिए संपर्क करे🛕 

!!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85 website :https://sarswatijyotish.com/ 
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

गजकेसरी योग का उत्तम संयोग/सर्वरोग नाशक मन्त्र :

गजकेसरी योग का उत्तम संयोग / सर्वरोग नाशक मन्त्र : गजकेसरी योग का उत्तम संयोग : सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का संयोग बना है।  सा...